थाईलैंड का एक हिस्सा
खाओ याई नेशनल पार्क
बहता है वहाँ एक झरना नरक का
स्थानीय लोगों ने दिया यह नाम
निगल रहा है वह
ज़िंदगियाँ मासूम हाथियों की
सिहर उठा मन देख ज़िंदगी की जंग
नन्हें नाज़ुक हाथी के बच्चे की
आह से आहतित
आवाज़ में मर्म ममता का लिये
टपकते आँसू पाकीज़ा नन्हीं आँखों से
ठहर गयीं धड़कनें बिखर गयीं साँसें
कूद पड़े प्रबल प्रेम के प्रतापी
परिवार के सात अन्य हाथी
अर्पित की सभी ने साँसें अपनी
बचाने अपना एक नन्हा प्यारा साथी
प्रखर प्रेम को सजोये सीने में
सदियों से सहेजते और समझाते आये
सबल समर्पण साँसों में लिये
मसृण रस्सी से जीवनपर्यन्त बँधे आये
अंतरमन को उनके
उलीचती सृष्टि स्नेह की स्निग्ध धार से
प्रेम के वाहक कहलाये
करुणा के कोमल कलेवर कुँज के
कृपाधार रहे ममता के
वशीभूत सस्नेह के गजराज
दुरुस्त दिमाग़ के नहीं है दावेदार
कहलाये कोमल मन,विशाल तन
माँ के प्रथममेश्वर पहरेदार
पावन प्रेम से पल्लवित स्वरुप
शाँत चित्त
मानव मित्रता के सच्चे हक़दार
कविता कही न गढ़ी कल्पना
मुखर हुआ यथार्थ के मंथन से
प्रबल प्रेम का पावन रुप |
© अनीता सैनी