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मंगलवार, जुलाई 16

श्री गुरुवै नमः



आशा का दीपक जला, गुरु का करना ध्यान।
तब ही होगी ज्ञान की, राह बहुत आसान।।
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कठिन राह में जो हमें, चलना दे सिखलाय।
गुरु की भक्ति से यहाँ, सब सम्भव हो जाय।।
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गुरु की महिमा का करें, कैसे शब्द बखान।
जाकर के गुरुधाम में, मिलता हमको ज्ञान।।
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मन की कोटर में रखो, हरदम गुरु का रूप।
गूँगे को मिलते जहाँ, शब्द-रूप अनुरूप।। 
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गुरु की अनुकम्पा अदृश, करो गुरू का मान।
आगे बढ़ने के  लिए, सीख गुरू से ज्ञान।।

 - अनीता सैनी

20 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (17-07-2019) को "गुरुसत्ता को याद" (चर्चा अंक- 3399) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    गुरु पूर्णिमा की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    1. सहृदय आभार आदरणीय चर्चा मंच पर स्थान देने के लिए
      प्रणाम
      सादर

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  2. वाह! गुरु की महिमा का प्रभावी बखान.

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    1. सहृदय आभार सर| आप को गुरुपूर्णिमा की अनंत शुभकामनाएँ
      प्रणाम
      सादर

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  3. वाह वाह वाह शानदार प्रस्तुति

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    1. शुक्रिया सर |आप को गुरुपूर्णिमा की अनंत शुभकामनाएँ
      प्रणाम
      सादर

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  4. बहुत सुंदर प्रस्तुति सखी

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    1. सस्नेह आभार बहना |
      आप को गुरुपूर्णिमा की अनंत शुभकामनाएँ
      सादर

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  5. अति सराहनीय मैम। तस्मै श्री गुरवे नमः।

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    1. शुक्रिया सर |आप को गुरुपूर्णिमा की अनंत शुभकामनाएँ
      प्रणाम
      सादर

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  6. वाह!!सखी ,बहुत खूबसूरत गुरू महिमा गान !

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    1. शुक्रिया प्रिय शुभा दी जी
      सादर स्नेह

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  7. बहुत सुंदर सृजन गुरु की महत्ता पर बहुत श्रृदा युक्त काव्य ।
    अप्रतिम रचना ।

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    1. शुक्रिया प्रिय कुसुम दी जी
      सादर स्नेह

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  8. वाह बहुत सुन्दर सृजन

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    1. तहे दिल से आभार प्रिय रितु दी जी
      सादर स्नेह

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  9. प्रिय अनीता -- बहुत ही सार्थक दोहे गुरुदेव के लिए , जिनमें तुम्हारी प्रखर प्रतिभा बखूबी नजर आ रही है | सस्नेह शुभकामनायें |

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