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रविवार, अप्रैल 26

उम्मीद का थामे हाथ किताबें



 राह जीवन की सुलभ बनातीं,  
सद्बुद्धि का आधार किताबें,  
गहन निराशा में गमन करातीं,   
उम्मीद का थामे हाथ किताबें। 

क्रूर दानव को मानव बनातीं, 
चेतन मन का शृंगार किताबें, 
मधुर शब्दों का मोहक संगम, 
सुधी पर शीतल बौछार किताबें।   

करतीं प्रज्ज्वलित ज्ञान-दीप,  
भ्रम का तोड़ें जंजाल किताबें, 
तर्क-वितर्क की मनसा समझें, 
स्वप्न करतीं साकार किताबें। 

जीवन मूल्यों से अंतस भरती,
 नियति का बोध करातीं किताबें,
नवाँकुर को वृक्ष रुप में गढ़ती,
प्रारब्ध को सुगम बनातीं किताबें। 

©अनीता सैनी 'दीप्ति'

14 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. सादर आभार आदरणीय सर उत्साहवर्धक समीक्षा हेतु.
      सादर

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  2. करतीं प्रज्ज्वलित ज्ञान-दीप,
    भ्रम का तोड़ें जंजाल किताबें,
    तर्क-वितर्क की मनसा समझें,
    स्वप्न करतीं साकार किताबें।
    बहुत ही सुन्दर सृजन ...किताबों का महत्व समझाती लाजवाब कृति
    वाह!!!!

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    1. सादर आभार आदरणीया दीदी उत्साहवर्धक समीक्षा हेतु.
      सादर

      हटाएं
  3. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (27-04-2020) को 'अमलतास-पीले फूलों के गजरे' (चर्चा अंक-3683) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    *****

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    उत्तर
    1. सादर आभार आदरणीय चर्चामंच पर मेरी रचना को स्थान देने हेतु.
      सादर

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  4. राह जीवन की सुलभ बनातीं,
    सद्बुद्धि का आधार किताबें..
    यथार्थ आधारित सटीक सृजन अनीता जी ! किताबें हमारे जीवन में सच्चे मित्र और हितैषी की भूमिका निभाती हैं।

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    1. सादर आभार आदरणीया दीदी उत्साहवर्धक समीक्षा हेतु.
      सादर

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  5. उत्तर
    1. सादर आभार आदरणीय सर उत्साहवर्धक समीक्षा हेतु.
      सादर

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  6. प्रारब्ध को सुलभ बनाती किताबें ....
    सही कहा अहि ... किताबोब के साथ ही जीवन बांधा जा सकता है ... इनसे अच्छा दोस्त नहीं ...

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    1. सादर आभार आदरणीय सर सुंदर सारगर्भित समीक्षा हेतु.
      सादर

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  7. वाह बेहतरीन रचना सखी

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    1. सादर आभार आदरणीया दीदी सुंदर समीक्षा हेतु.
      सादर

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