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शनिवार, जुलाई 18

प्रार्थना


अनासक्त भाव से भर जाऊँ 
हे ! प्रभु ऐसी  भक्ति दो। 
कर्म-कष्ट सहूँ आजीवन बस 
मुझ में इतनी शक्ति दो। 

धूप द्वेष की न तृष्णा की साँझ 
समन्वय की भोर जगाए है। 
आरोह-अवरोह का अंत नहीं 
अंत समय तक मड़राए है। 
मन डिगे न मानवता से मेरा 
हे!प्रभु अंतस में ऐसी अनुरक्ति दो। 
कर्म-कष्ट सहूँ आजीवन बस 
मुझ में इतनी शक्ति दो। 

दैहिक दर्द बढ़े पल-पल 
 किंचित मुझ में क्षोभ न हो। 
 रोम-रोम पीड़ा से भर दो 
 यद्धपि मन में मेरे विक्षोभ न हो। 
 हतभाग्य विचार न छूए मन को 
हे!प्रभु ऐसी शुभ अभिव्यक्ति दो। 
 कर्म-कष्ट सहूँ आजीवन बस 
मुझ में इतनी शक्ति दो। 

©अनीता सैनी 'दीप्ति'

23 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 19 जुलाई 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. सादर आभार आदरणीय सर पाँच लिंकों पर मेरी रचना को स्थान देने हेतु .
      सादर

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  2. उत्तर
    1. सादर आभार आदरणीय सर मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु.
      सादर

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  3. उत्तर
    1. आभारी हूँ सर मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
      सादर

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  4. बहुत ही प्यारी और गहरी प्रार्थना।

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    1. आभार हूँ अनंता जी उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया हेतु ।
      सादर

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  5. उत्तर
    1. सादर आभार आदरणीय ज्योति दी मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
      सादर

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  6. सुंदर अभिव्यक्ति

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    1. आभार हूँ सर मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु ।
      सादर

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  7. अनासक्त भाव से भर जाऊँ
    हे ! प्रभु ऐसी भक्ति दो।
    कर्म-कष्ट सहूँ आजीवन बस
    मुझ में इतनी शक्ति दो।
    बहुत सुन्दर सृजन ...,

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    1. सादर आभार आदरणीय मीना दी मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
      सादर

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  8. कर्म-कष्ट सहूँ आजीवन बस
    मुझ में इतनी शक्ति दो।
    बहुत ही सुंदर प्रार्थना अनीता जी

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    1. सादर आभार आदरणीय कामिनी दीदी मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
      सादर

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  9. मन डिगे न मानवता से मेरा
    हे!प्रभु अंतस में ऐसी अनुरक्ति दो।
    कर्म-कष्ट सहूँ आजीवन बस
    मुझ में इतनी शक्ति दो।
    वाह!!!!
    सुन्दर कोमल भावों से सजी लाजवाब प्रार्थना।

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    1. सादर आभार आदरणीय सुधा दीदी उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया हेतु.
      सादर

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  10. दैहिक दर्द बढ़े पल-पल
    किंचित मुझ में क्षोभ न हो।
    रोम-रोम पीड़ा से भर दो
    यद्धपि मन में मेरे विक्षोभ न हो।
    हतभाग्य विचार न छूए मन को
    हे!प्रभु ऐसी शुभ अभिव्यक्ति दो।
    कर्म-कष्ट सहूँ आजीवन बस
    मुझ में इतनी शक्ति दो।
    बहुत ही सुंदर भावों से सजी यह रचना ... ईश वंदना कहूँ तो भी असत्य न होगा।
    बधाई एवम शुभकामनाएं

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    1. सादर आभार आदरणीय दीदी मनोबल बढ़ाती सुंदर प्रतिक्रिया हेतु .आशीर्वाद बनाए रखे .
      सादर

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  11. सरल लोक कल्याण के मंजुल भाव लिए पावन सी प्रार्थना।
    सस्नेह

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आप का आदरणीय कुसुम दीदी .
      सादर

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  12. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (27-2-22) को एहसास के गुँचे' "(चर्चा अंक 4354)पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
    --
    कामिनी सिन्हा

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