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गुरुवार, दिसंबर 31

31 दिसंबर

 वह चला गया

कुछ बड़बड़ाते हुए 

फिर कभी न लौटने के

वादे के साथ

ख़ामोशी की धुँध में 

उदासी को ओढ़े

मानवमंशा से मिले ज़ख़्मों को

स्वाभिमान की चादर से

बार-बार ढकता हुआ 

पलकें झुकाए

न हिला न डुला

न कुछ बोला 

बस चला गया चुपचाप।


मन की वीथियाँ  

 बुहारती-बुहारती 

थक गई थी मैं 

थकान मेरे कंधों पर

ज़िद से आ बैठी 

और एक-दो तमाचे मैंने भी जड़े

एक क्षण पलकें उठाईं 

दिल की गहराइयों में उतर

गलती पूछी थी उसने 

फिर ओढ ख़ामोशी की चादर 

कुछ कहा न सुना

अनसुने कर मेरे अहसास 

बस चला गया चुपचाप।


@अनीता सैनी 'दीप्ति'


48 टिप्‍पणियां:

  1. सादर नमस्कार,
    आपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 01-01-2021) को "नए साल की शुभकामनाएँ!" (चर्चा अंक- 3933) पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित है।
    धन्यवाद.

    "मीना भारद्वाज"


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    1. बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीया मीना दी चर्चामंच पर स्थान देने हेतु।
      सादर

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  2. अद्भुत! इतने आरोप साथ लिए चला गया क्या कहता उसकी गल्ती थी क्या???
    बहुत बहुत हृदय स्पर्शी।
    वाह।

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    1. दिल से आभार प्रिय कुसुम दी आपकी प्रतिक्रिया मिली सृजन सार्थक हुआ।
      सादर

      हटाएं
  3. मानवमंशा से मिले ज़ख़्मों को
    स्वाभिमान की चादर से
    बार-बार ढकता हुआ
    पलकें झुकाए
    न हिला न डुला
    न कुछ बोला
    बस चला गया चुपचाप
    जाये और सारी परेशानियाँ भी साथ लेकर जाये...जो मानव ने स्वभावतः उसके सर मढ़ दी हैं.....बहुत सुन्दर भावपूर्ण सृजन।
    वाह!!!

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    1. दिल से आभार प्रिय सुधा दी आपकी मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया मिली सृजन सार्थक हुआ।
      सादर

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  4. समसामयिक एवं हृदयस्पर्शी रचना..।

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    1. दिल से आभार प्रिय जिज्ञासा दी सृजन सार्थक हुआ।
      आशीर्वाद बनाए रखे।
      सादर

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  5. मन को कहीं गहरे तक छू गई यह रचना ।

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सर.
      सृजन सार्थक हुआ।
      सादर

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  6. जाने की ये अजीब स्थितियां और उस पे माहौल भी दुखद। धुंध में ओझल हुआ समय। अति सुन्दर।

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सर मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
      सादर

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  7. बहुत ही सुंदर मार्मिक अभिव्यक्ति तुम से ज्यादा विदा करने की पीड़ा कौन पी सकता है।

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    1. दिल से आभार...सृजन सार्थक हुआ आपकी प्रतिक्रिया मिली।
      सादर

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  8. कुछ कहा न सुना

    अनसुने कर मेरे अहसास

    बस चला गया चुपचाप।

    कहता भी क्या बेचार,गलती क्या थी उसकी
    बहुत ही सुंदर सृजन अनीता जी ,आपको और आपके समस्त परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं

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    1. दिल से आभार प्रिय कामिनी दी।
      आशीर्वाद बनाए रखे।
      सादर

      हटाएं
  9. मन की वीथियाँ

    बुहारती-बुहारती

    थक गई थी मैं

    थकान मेरे कंधों पर

    ज़िद से आ बैठी
    बहुत सुन्दर रचना | नव वर्ष की बहुत बहुत हार्दिक शुभ कामनाएं आआपके व आपके समस्त परिवार के लिए |

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    उत्तर
    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय आलोक जी सर।
      आशीर्वाद बनाए रखे।
      सादर

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  10. चुपचाप जाते-जाते भी सचेत तो कर ही गया ।

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    उत्तर
    1. सही कहा आदरणीय सर।
      बहुत बहुत शुक्रिया आपका
      सादर

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  11. मानव-पीढ़ी रहेगी ज़िन्दा ,
    जब तक ज़िन्दा हैं मानवता ।
    सत्य, अहिंसा ,प्रेम, दया का
    जब तक दीप रहेगा जलता ।
    नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें....

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    उत्तर
    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सर।
      सादर

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  12. उत्तर
    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सर।
      सादर

      हटाएं
  13. बहुत सुंदर l
    आपको और आपके समस्त परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं l

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  14. 31 द‍िसंबर 2020 का दर्द बखान करती रचना..वाह अनीता जी...नववर्ष की हार्द‍िक शुभकामनायें

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  15. बेहद हृदयस्पर्शी रचना सखी 👌
    आपको नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।

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  16. वाह!!!
    संकटों से भरे वर्ष को ख़ामाश विदाई पर इससे सुंदर रचना और कोई हो ही नहीं सकती... आपको साधुवाद 🌹🙏🌹

    नववर्ष पर हार्दिक शुभकामनाएं ⭐🌹🙏🌹⭐

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  17. फिर ओढ ख़ामोशी की चादर

    कुछ कहा न सुना

    अनसुने कर मेरे अहसास

    बस चला गया चुपचाप। मर्मस्पर्शी, बहुत सुन्दर सृजन - - नूतन वर्ष की असंख्य शुभकामनाएं।

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  18. बेहतरीन रचना।
    🙏नववर्ष 2021 आपको सपरिवार शुभऔर मंगलमय हो 🙏

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सर।
      सादर

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  19. वाह , बेहतरीन अभिव्यक्ति !

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सर।
      सादर

      हटाएं
  20. जाने वाले को जाना ही होता है ... फिर समय तो ऐसा है जो आगे ही जाता है ... पीछे नही आता ... ये नया साल भी तो ऐसा ही है ...

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सर।
      सादर

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  21. बहुत सुन्दर समसामयिक एवं हृदयस्पर्शी रचना के लिए धन्यवाद एवं बधाई अनीता जी। 💐

    *इस साल न कोरोना, न कोरोना का रोना,*
    *अब तो हमें नई उम्मीदों के नए बीज बोना।*
    *उग आएं दरख़्त इंसानियत से फूले-फले,*
    *महक उठे हर दर, हर घर का कोना-कोना।।*

    *नव-वर्ष मंगलकारी हो, परम उपकारी हो।*

    शुभेच्छाओं सहित।

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  22. वह चुपचाप चला तो गया पर आने वाला समय उसे ही याद करेगा और इतिहास भी । उसकी अच्छाइयों को भी झुठला नहीं सकता है कोई । अच्छा लगा ।

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    1. दिल से आभार प्रिय दी।
      स्नेह आशीर्वाद बनाए रखे।
      सादर

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