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मंगलवार, दिसंबर 7

निमित्त है तू


थक न तू

थकान से न रख वास्ता

आकार तू निराकार तू

पृथ्वी है तू प्राणवायु तू

याद रख 

निमित्त है तू

निर्माता अपने भाग्य का तू।


क्या सोचता?

क्या देखता?

शक्ति तुझमें है अपार 

जल तू ज्वाला तू 

याद रख 

निमित्त है तू

निर्माता अपने भाग्य का तू।


 हाथ में तू हाथ दे

क़दमों के मेरे साथ चल 

मंज़िल का दूँ पता तुझे

तू बढ़ता चल

कर्म कारवाँ के साथ  

याद रख

निमित्त है तू

निर्माता अपने भाग्य का तू।


@अनीता सैनी 'दीप्ति'

24 टिप्‍पणियां:

  1. तू बढ़ता चल
    कर्म कारवाँ के साथ
    याद रख
    निमित्त है तू
    निर्माता अपने भाग्य का तू।
    कर्मयोग का संदेश लिए प्रेरक उद्बोधन ।अति सुन्दर ।

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    1. आभारी हूँ प्रिय मीना दी जी अत्यंत हर्ष हुआ आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया मिली। आशीर्वाद बनाए रखें।
      सादर

      हटाएं
  2. आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (08-12-2021) को चर्चा मंच          "निमित्त है तू"   (चर्चा अंक 4272)     पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार करचर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
    -- 
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'   

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    1. आभारी हूँ आदरणीय सर मंच पर स्थान देने हेतु।
      सादर

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  3. स्वयं के निर्माण का भी निम्मित इंसान खुद ही होता है ...
    जैसा बोता है वैसा पाता है ...

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    1. आभारी हूँ सर मनोबल बढ़ाने हेतु।
      आशीर्वाद बनाए रखें।
      सादर

      हटाएं
  4. उत्तर
    1. आभारी हूँ सर।
      आशीर्वाद बनाए रखें।
      सादर

      हटाएं
  5. उत्तर
    1. आभारी हूँ दी आपका आशीर्वाद मिला।
      सादर

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  6. उत्तर
    1. आभारी हूँ आदरणीय सर आपकी प्रतिक्रिया मेरा संबल है। आशीर्वाद बनाए रखें।
      सादर

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  7. प्रेरक रचना जो सोई हुई संवेदना और इच्छाशक्ति को झकझोरती हुई मार्गदर्शन और सहयोग के मूल्यों की सुंदर स्थापना करती है.
    उत्कृष्ट रचना.
    बधाई एवं शुभकामनाएँ.

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    उत्तर
    1. आभारी हूँ आदरणीय सर।
      आपकी प्रतिक्रिया संबल है मेरा।
      आशीर्वाद बनाए रखें।
      सादर प्रणाम

      हटाएं
  8. कर्म का सुंदर संदेश लिये प्रेरक रचना, लक्ष्य की प्राप्ति निश्चित है क्योंकि तू स्वयं ही भाग्य निर्माता हैं।
    वाह! बहुत बहुत सुंदर सृजन।

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    उत्तर
    1. आभारी हूँ आदरणीय कुसुम दी जी अत्यंत हर्ष हुआ आपकी प्रतिक्रिया मिली संबल मिला।
      आशीर्वाद बनाए रखें।
      आपको बहुत बहुत सारा स्नेह

      हटाएं
    2. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीया।
      सादर

      हटाएं
  9. क्या सोचता?

    क्या देखता?

    शक्ति तुझमें है अपार

    जल तू ज्वाला तू

    याद रख

    निमित्त है तू

    निर्माता अपने भाग्य का तू।
    वाह!!!
    अपने भाग्य के निर्मित हैं हम...
    फिर भाग्य कोशने के बजाय कोशिश करें
    सुन्दर संदेशप्रद एवं लाजवाब सृजन।

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    1. आभारी हूँ आदरणीय सुधा दी जी मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
      सादर

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