Powered By Blogger

शुक्रवार, जनवरी 21

शेखावाटी रो बांकुड़ो


सैनिक बणु माँ,भारत माँ रो 

वर्दी परण रो चाव घणों।।

सीमा प्रहरी  महि रो बेटो 

जाण देश रो जणों-जणों।।


लूँ रा झोंका बणे साथिड़ा

थार थपेड़ा हैं बापू।

पूत धोराँ रो माटी जायो 

सीमा ऊँट पैरा  नापू।

साथ घणेरो दे आशीषा 

जीवण कद जाणो थकणों।।


मरुधरा र मनड़े रो मणको 

माणस जगाऊं सुतेडा।

वीर फोगाँ रा हेलो मारे 

फूला उचके टूटेड़ा।

सूर वीर योद्धा कह लाऊं 

माथ टिको लोहित सोवणों।।


मातृ भूमि रो मान बढ़ाऊँ

जग माह ऊंचो नाम करुँ।

रीढ़ बणु मैं अपणे देश री 

इह जन्म एसो काम करुँ।

गळियाँ गूंजे मेर नाम री

आँखड़ल्यां रो है सुपणों।।


@अनीता सैनी 'दीप्ति'

शब्द =अर्थ
परण=पहनने 
चाव=च्छा 
जाण=जानना 
जणों-जणों=प्रत्यक व्यक्ति 
घणेरो=बहुत ज्यादा 
थकणों=थकना 
मणको =मोती 
माणस=मानस 
सुतेडा=सोए हुए 
फोगाँ =बीहड़ भूमि 
हेलो=तेज आवाज 
टिको=तिलक 
अपणे=अपने 
बणु=बनु  
आँखड़ल्यां=आँखें 
सुपणों=स्वप्न 

22 टिप्‍पणियां:

  1. आज जब सेना में जाने के प्रति नई पीढ़ी की रूचि घटती जा रही है, ऐसी रचनाएं प्रेरित करती हैं। राजस्थान तो सदा से वीर-भूमि रहा है। आधुनिक युग में भी लोंगेवाला का अविस्मरणीय बलिदानी युद्ध मरूधरा पर ही लड़ा गया था। राष्ट्र की सीमाएं पुनः असुरक्षित हो रही हैं। ऐसे में इस गीत का महत्व बहुत अधिक है। फिर आपने तो कह ही दिया है - जीवण कद जाणो थकणों।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हार्दिक आभार आदरणीय जितेंद्र जी सर मनोबल बढ़ाती सारगर्भित प्रतिक्रिया हेतु। शेखावाटी सूर वीरो की भूमि है जहाँ प्रत्येक घर का बेटा सेना में है। जहाँ कदम रखते ही आत्मसम्मान हृदय तृप्त हो जाता है। लोंगेवाला का जिक्र किया आपने अनेकानेक आभार।
      लिखने को बहुत कुछ है हृदय भर जाता है।
      बहुत बहुत शुक्रिया आपका।
      सादर

      हटाएं
  2. बहुत सुंदर रचना अनिता दी। जय हिन्द।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आभारी हूँ अनुज मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
      सादर

      हटाएं
  3. रणबांकुरों की जननी है मरुधरा । उसके सपूत सदैव राष्ट्र के सीमाप्रहरी के रुप में भारत माता के सम्मान में अभिवृद्धि करते हैं। ओजपूर्ण सृजन अनीता जी!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सही कहा आपने आदरणीया मीना दी रणबांकुरों की जननी है मरुधरा जिसका बखान करना इतना आसान नहीं है। हार्दिक आभार आपका।
      सादर स्नेह

      हटाएं
  4. पूरी शेखावाटी का चित्रण कर दिया अनीता जी आपने...वाह क्‍या बात कही है कि साथ घणेरो दे आशीषा

    जीवण कद जाणो थकणों।।....और वह भी शब्‍द-अर्थ के साथ। राजस्‍थानी भाषा को आसान शब्‍दों में बताना तो कोई आपसे सीखे....

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीया अलकंनंदा दी जी सृजन सार्थक हुआ।
      स्नेह आशीर्वाद बनाए रखें।
      सादर

      हटाएं
  5. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर रविवार 23 जनवरी 2022 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय रविंद्र जी सर पांच लिंको पर स्थान देने हेतु।
      सादर

      हटाएं
  6. वीरों को और वीर-भूमि को नमन !

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत ही उम्दा सृजन!
    वीर-भूमि को शत् शत् नमन्🙏
    हमारे गाँव में भी बहुत से लोग है जो सेना में जाने की चाह रखते है और मेहनत भी करते हैं जाने के लिए करीब बीस लोग तो होंगे ही पर उन्हें लगता है कि सेना में जाने के लिए शारीरिक मेहनत की अधिक आवश्यकता है पढ़ाई करने की नहीं इस लिए परीक्षा ही नहीं निकाल पाते हैं!और जो अच्छे होते हैं पढ़ाई में(परीक्षा उत्तीर्ण कर सकते हैं) वे डॉक्टर,इंजीनियर या आईएएस बनने की चाह रखते हैं ऐसे में न तो वे न डॉक्टर आदि बन पाते हैं!
    पर खुशी है कि देश के लिए अपना जीवन कुर्बान करने की चाह तो रखते हैं!
    देश के लिए अपनी जान देना बहुत सौभाग्य की बात है यह अवसर हर किसी को कहा मिलता है!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रिय मनीषा जी दिल से आभार संबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
      सादर

      हटाएं
  8. वाह!प्रिय अनीता ,बहुत ही खूबसूरत ,ओजपूर्ण सृजन ।वीर भूमि को नमन । माह्ने प्यारो लागे री म्हारो राजस्थान 🙏

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हार्दिक आभार प्रिय शुभा दी जी संबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
      सादर

      हटाएं
  9. आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (26-01-2022) को चर्चा मंच "मनाएँ कैसे हम गणतन्त्र" (चर्चा-अंक4322) पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बहुत बहुत शुक्रिया सर मंच पर स्थान देने हेतु।
      सादर

      हटाएं
  10. बेहतरीन रचना सखी।

    जवाब देंहटाएं
  11. वाह राजस्थानी रणबांकुरों के शौर्य
    और मातृभूमि के प्रति उनके समर्पण और प्रेम का चित्रण इस गीत में आपने किया है सखी।उत्साह ओज से भरी इस श्रेष्ठ रचना के लिए आपको बधाई।
    गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 💐 जयहिंद

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. अनेकानेक आभार आदरणीय दी सारगर्भित प्रतिक्रिया हेतु।
      स्नेह आशीर्वाद बनाए रखें।
      सादर नमस्कार

      हटाएं