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शुक्रवार, जनवरी 28

अजन्मो गीत



हिया पाट थे खोलो ढोला 

झाँके भोर झरोखा से।

खेचर करलव सो धड़के है 

गीत अजन्मो गोखा से ।।


उठे बादळी गहरी घुमड़े 

सोय आखरा भाव भरे।

मनड़े भींत्या डंकों बाजे 

छवि साहेबा री उभरे।

बोल अजन्मे रा है फूटे

ढुळे ख्याल ज्यों सोखा से।।


चूळू भर-भर सौरभ छिड़कूँ

लय मतवाळी थिरक रही।

सूर तार बाँधू ताळा रा 

अभी व्यंजना मिथक रही।

फूल रोहिड़ा रा है बिखरा 

खुड़के झँझरी नोखो से।।


गोदी माही भाव सुलाऊं 

जीवण हिंडोला हिंडे।

झपक्या सागे लुढ़क सुपणो

हिम बूँद कपोला खींडे।

मुळक्य सिराणों ढळत पहरा 

पीर पूछ ली धोखा से।।


@अनीता सैनी 'दीप्ति'

शब्द -अर्थ 

किंवाड़ा-दरवाजा 

खेचर-पक्षी 

बादळी-बादल

गोखा-खिड़की 

आखरा-अक्षर 

 भींत्या-भींत ,दीवार 

ख्याल -भाव

 सोखा-चतुराई 

चूळू-अंजुरी 

मतवाळी-मतवाली 

ताळा-ताल 

खुड़के-आवाज़

नोखो-विचित्र

झपक्या-झपकी 

मुळक्य-हँसना 

ढळते-लुढ़कना

सिराणों -तकिया 

32 टिप्‍पणियां:

  1. गोदी माही भाव सुलाऊं

    जीवण हिंडे हिंडोला।

    झपक्या सागे लुढ़क सुपणो

    ओस बूँद बण ढळे कपोला।

    मुळक्य सिराणों ढळत पहरा

    पीर पूछ ली धोखा से।। बेहद खूबसूरत सृजन सखी।

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  2. उठे बादळी गहरी घुमड़े
    सोय आखरा भाव भरे।
    मनड़े भींत्या डंकों बाजे
    छवि साहेबा री उभरे।
    बोल अजन्मे रा है फूटे
    ढुळे ख्याल ज्यों सोखा से।।
    माधुर्य भावों से सुसज्जित खूबसूरत कृति ।

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    1. दिल से आभार आदरणीय मीना दी जी आपकी प्रतिक्रिया संबल है मेरा।
      सादर स्नेह

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  3. राजस्थानी साहित्य पढने को कहाँ मिलता है
    बहुत सुंदर सृजन.

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  4. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर रविवार 30 जनवरी 2022 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया सर पांच लिंको पर स्थान देने हेतु।
      सादर

      हटाएं
  5. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (30-1-22) को "भावनाएँ मेरी अब प्रवासी हुईं" (चर्चा अंक 4326)पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
    --
    कामिनी सिन्हा

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    उत्तर
    1. आभारी हूँ आदरणीय कामिनी जी मंच पर स्थान देने हेतु।
      सादर

      हटाएं
  6. खिड़की से झाँक कर इतना सुंदर गीत रच दिया है । बहुत खूब ।

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    1. हार्दिक आभार आदरणीया संगीता दी जी आपकी प्रतिक्रिया मिली सृजन सार्थक हुआ।
      सादर प्रणाम

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  7. बहुत बहुत सुन्दर रचना

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  8. इस अजन्मे गीत के भाव में डूबते-उतराते हुए सुन्दर मुस्कान खिल गई है। धोखे से पीर को पूछना... बहुत ही सुन्दर पल होगा।

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    1. सादर नमस्कार दी।
      आपकी प्रतिक्रिया से मेरे भी होंठो पर मुस्कान खिल गई कहाँ पकड़ा है आपने मुझे।
      सादर स्नेह

      हटाएं
  9. बहुत हो सुंदर भावो से सज्जित मधुर गीत ।बहुत शुभाकामनाएं 💐💐

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    1. हृदय से आभार आदरणीया जिज्ञासा दी जी।
      सादर

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  10. वाह!प्रिय अनीता ,खूबसूरत भावों से सजी रचना ।

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    उत्तर
    1. हृदय से आभार प्रिय शुभा दी जी।
      आपकी प्रतिक्रिया संबल है मेरा।
      आशीर्वाद बनाए रखें।
      सादर

      हटाएं
  11. चूळू भर-भर सौरभ छिड़कूँ
    लय मतवाळी थिरक रही।
    सूर तार बाँधू ताळा रा
    अभी व्यंजना मिथक रही
    वाह ! प्रिय अनिता, बहुत सुंदर गीत। मातृभाषा में लिखा गीत हृदय छू गया।
    फिर भी अच्छा है कि आपने शब्दों के अर्थ दे दिए, रचना का सौंदर्य समझने में आसानी हुई।

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    उत्तर
    1. हार्दिक आभार आदरणीय मीना दी जी सृजन सार्थक हुआ।
      सादर स्नेह

      हटाएं
  12. विरह श्रृंगार का अनुपम सृजन
    सुकोमल भाव कोमल कलियों से।
    अप्रतिम

    (पिया जो पास नहीं है से अभ्यर्थना ।)
    हे पिया हृदय के पट खोलो
    झरोखों से भोर झांकने लगी
    पाखियों के कलरव जैसे खिड़कियों से
    एक अजन्मा गीत धड़क रहा है।

    (मन के भाव)
    गहरे बादल घुमड़ रहे हैं
    सोते हुए शब्द भावों का रूप ले रहे हैं।
    हृदय की दिवारों पर डंका बज रहा है
    और प्रिय की छवि उभर रही है।
    अजन्मे के बोल जैसे फूट रहे हैं
    और निपुणता से भाव बह रहे हैं।

    (क्या है अजन्मे के बोलों में)
    अँजुरी भर-भर के सौरभ बिखर रही है
    लय स्वछंद होकर थिरक रही है
    सूर के तार ताल से समायोजित हैं
    अभिव्यंजना और कल्पना से भरपूर।
    वन-फूल बिखर रहे हैं अनूठे से झांझरी स्वर झनक रहे हैं।

    (पर अब पिया के न आने की निराशा)

    जीवन हिण्डोले में झूल रहे भावों को
    गोदी में थपकी दे के सुला दूँ,
    वो झपकी के साथ सपने जैसे लुढ़क रहे हैं,
    और गालों पर शीतल जल बहने लगता है ,
    हँस कर सिरहाना धोखे से सारा दर्द पूछ लेता है।
    आँसू सारी कथा कह देते हैं भीगते तकिये को।

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    उत्तर
    1. आपके द्वारा सृजन का हिंदी भावार्थ सच दी सराहनीय। आपकी प्रतिक्रिया संबल है मेरा स्नेह आशीर्वाद बनाए रखें।
      सादर

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  13. उत्तर
    1. हार्दिक आभार आपका आदरणीय भारती जी।
      सादर

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  14. आंचलिक भाव अभिव्यक्ति में आपकी मास्टरी हो गई है ...
    सहज अभिव्यक्ति मन को छूती है ...

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    उत्तर
    1. हार्दिक आभार आदरणीय नासवा जी सर आपकी प्रतिक्रिया हमेशा ही मेरा मनोबल बढ़ाती है।
      सादर

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  15. वाह अनीता !
    तुम्हारे भीतर तो मीरा की आत्मा प्रविष्ट हो गयी है.

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    उत्तर
    1. आदरणीय सर क्या कहूँ समझ ही नहीं आ रहा है। आज तो आपने कुछ ज्यादा ही तारीफ़ कर दी।
      आशीर्वाद बनाए रखें।
      हृदय से आभार आपका।
      सादर प्रणाम।

      हटाएं
  16. बह्त भावपूर्ण गीत प्रवाहित हुआ है आपकी लेखनी से। आरंभ किया है - 'हिया पाट थे खोलो ढोला' से जबकि अंत किया है 'पीर पूछ ली धोखा से'। आह! क्या कहने! अनवरत लेखन आपके सृजन को मांजता जा रहा है।

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    उत्तर
    1. हृदय से आभार आदरणीय माथुर जी सर आपकी प्रतिक्रिया संबल है मेरा।
      सादर

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