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सोमवार, जुलाई 25

दोहे



1.बैरागी री ओढ़णी,

    सजै सावणा साथ।

    डग डागळा चार भरै,

    पकडे कजरी हाथ।।


2. पथ री पीड़ा कुण पढ़े,

   लुळ-लुळ  चालै आप।

  भाटा जद आवै पगां,

    मन पीड़ावै धाप ।।


3.आभै आँगणा झुमती,

      बुणे बादळी जाल। 

    गाज गिरावै काळजौ,

     सुथरी चालै-चाल ।।


4.  छज्जे माथे मोरियो,

   बुणे सुखां री छाँव।

  सूत करम रौ कातता, 

   छळे समै रौ दाँव।।


5.धीर धरम धीमे चले,

   गीत गावता मौण।

  घणा लुभावै चालता, 

   होवै तिसणा गौण।।


@अनीता सैनी 'दीप्ति'

21 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (27-07-2022) को
    चर्चा मंच     "दुनिया में परिवार"   (चर्चा अंक-4503)     पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार करचर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
    -- 
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'   

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    1. हृदय से आभार सर मंच पर स्थान देने हेतु।
      सादर

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  2. आपने सरल भाषा में ही ये दोहे रचे हैं अनीता जी जिन्हें वे भी सुगमता से समझ सकते हैं जो राजस्थानी भाषा से सुपरिचित नहीं हैं। आपके सभी दोहे अच्छे हैं। दूसरे वाले का तो कहना ही क्या ? और 'सूत करम रौ कातता, छळे समै रौ दाँव' एक सनातन सत्य है जिसे किसी को नहीं भूलना चाहिए। अभिनन्दन आपका।

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    उत्तर
    1. राजस्थानी रचनाओं पर आपकी प्रतिक्रिया सदैव मुझे मनोबल प्रदान करती है। आपका आना हर्ष से हृदय भर देता है।अनेकानेक आभार सर आप आए सृजन सार्थक हुआ।
      सादर आभार

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  3. जीवन के शाश्वत सत्य का दर्शन करवाते अत्यंत सुन्दर दोहे ।

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    1. हृदय से आभार दी आपकी प्रतिक्रिया संबल है मेरा 🙏

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  4. नीति परक दूहा म्हारै चेतणा रै आंगणै दस्तक देय रहया है। इण तरह रा दूहा सिरजण रौ मोल बधावै।आं दूहां मै मनै भाषा शिल्प अर कथ्य री निरवाली नूंवी छिब री औल्यूं आवै। खूब रंग।

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    1. सादर नमस्कार सर।
      हृदय से अनेकानेक आभार संबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
      सादर

      हटाएं
  5. धीर धरम धीमे चले,

    गीत गावता मौण।

    घणा लुभावै चालता,

    होवै तिसणा गौण।।
    बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति

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  6. डॉ विभा नायक27/7/22, 11:10 pm

    वाह आप तो दोहे भी बहुत खूब लिखती हैं। बहुत बधाई🌷🌷

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  7. वाह!प्रिय अनीता ,बहुत खूबसूरत दोहे रचे हैं आपनें ।

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    1. हृदय से आभार प्रिय शुभा दी जी।
      सादर स्नेह

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  8. दोहा जहां भावों का दोहन कर के संक्षेप में सार कह देना , दो पंक्तियां कभी कभी आधे पृष्ठ पर अपना भाव प्रसारित करती हैं।
    जिन दो पंक्तियों को हम शिल्प दृष्टि से दोहे जैसा लिख दें पर भाव में गांभिर्य न हो
    वो छंद तो हो सकता है पर दोहा नहीं।
    प्रिय अनिता आपने सार्थक भावों का दोहन किया है।
    राजस्थानी भाषा में ऐसे तो अनंत दोहे सृजित हुए हैं पर राजिया रा दोहा अपने आप में दोहा की परिभाषा के समरूप गहन और गंभीर है।
    आज आपके दोहों में मुझे दोहे की सार्थकता साफ दिख रही है।
    एक मूल्यवान कार्य सदा आगे बढ़ते रहिए।
    बहुत सुंदर सृजन ‌।

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    1. स्नेह में पगे आपके शब्दों ने हृदय को संतोष से भर दिया। सफ़र सुखद लगने लगा। स्नेह आशीर्वाद हेतु अनेकानेक आभार।
      सादर स्नेह

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  9. बहुत सुंदर प्रस्तुति 👌👌

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