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शनिवार, अक्टूबर 29

मेरी दहलीज़ पर



भोर का बालपन

घुटनों के बल चलकर आया था

उस रोज़ मेरी दहलीज़ पर

गोखों से झाँकतीं रश्मियाँ

ममता की फूटती कोंपलें

उसकने लगी थीं मेरी हथेली पर

बदलाव की उस घड़ी में

छुप गया था चाँदबादलों की ओट में

सांसें ठहर गई थीं हवा की

बदल गया था

भावों के साथ मेरी देह का रंग

मैं कोमल से संवेदनशील

और पत्नी से माँ बन गई।

 

आँचल से लिपटी रातें सीली-सी रहतीं

मेरे दिन दौड़ने लगे थे

उँगलियाँ बदलने का खेल खेलते पहर

वे दिन-रात मापने लगे

सूरज का तेज विचारों में भरता

मेरा प्रतिबिम्ब अंबर में चमकने लगा

नूर निखरता भावनाओं का

मैं शीतल चाँदनी-सी झरती रही

बदल गया था

भावों के साथ मेरी देह का रंग

मैं कोमल से संवेदनशील

और पत्नी से माँ बन गई। 


@अनीता सैनी 'दीप्ति'


27 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना सोमवार 31 अक्टूबर 2022 को
    पांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    संगीता स्वरूप

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह, मां बनना जीवन के परम सुखों में से एक है और प्रकृति की दृष्टि में नारीत्व की सार्थकता है
    बहुत प्यारी कविता अनीता जी

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हृदय से आभार आपका आदरणीया गिरिजा दी जी मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
      सादर

      हटाएं
  3. वाह एक अनूठा और परम् सुख जीवन का .सुंदर प्रस्तुति🙏🙏❤️❤️

    जवाब देंहटाएं
  4. बेनामी31/10/22, 11:07 am

    बहुत सुन्दर रचना- उषा किरण

    जवाब देंहटाएं
  5. एक अनूठा और स्त्री जीवन का परम् सुख।सुंदर प्रस्तुति❤️❤️

    जवाब देंहटाएं
  6. एक अनूठा अहसास जो सम्पूर्णता का भान कराता है।

    जवाब देंहटाएं
  7. दुनिया का सबसे अनूठा अनुभव मां बनना ,सुंदर रचना

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  8. अनकथ है यह परिवर्तन। अति सुन्दर रूप।

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  9. वाह। अनुपम रचना।

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  10. नारी जीवन की अनुपम उपलब्धि - एक कोमल स्नेहिल अनुभव जिसे पूरी तरह व्यक्त कर पाना संभव ही नहीं!

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  11. आपकी कृतियों में एक अलग ही सौंदर्य व गहराई है जो मंत्रमुग्ध किए जाती है, माटी के गंध से सरोबार लेखन, अभिनंदन ।

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  12. माँ बनना एक सुखद अहसास है, लेकिन यह आसान भी नहीं जिंदगी में
    बहुत सुन्दर भाव

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  13. आदरणीया मैम, बहुत ही भावपूर्ण सुंदर रचना। एक स्त्री का पत्नी से माँ के रूप में परिवर्तन बहुत सम्वेदनशीलता से उजागर किया है। मेरी नानी और माँ, दोनों यह कहतीं हैं कि स्त्री माँ बनने के बाद पूर्ण हो जाती है। बहुत बारी मेरे होने पर उनके मम में जो आनंद एफ उल्लास हुआ था, वह मुझे बतातीं भी हैं। आज इस कविता को पढ़ते हुए मैं उसे उस अनुभव से जोड़ कर देख पा रही हूँ जो इन दोनों ने मेरे साथ साझा किया है। हार्दिक अभार आपको इस सुंदर रचना के लिए एवं सादर प्रणाम।

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