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रविवार, फ़रवरी 26

औरतें


तुम ठीक ही कहते हो!

ये औरतें भी ना…बड़ी भुलक्कड़ होती हैं 

बड़ी जल्दी ही सब भूल जाती हैं

भूल जाती हैं!

चुराई उम्र की शिकायत दर्ज करवाना

ऐसी घुलती-मिलती हैं हवा संग कि 

धुप-छाव का ख़याल ही भूल जाती हैं 

भूलने की बड़ी भारी बीमारी होती है इन्हें

याद ही कहाँ रहता है कुछ

चप्पल की साइज़ तो छोड़ो

अपने ही पैरों के निशान भूल जाती हैं 

मान-सम्मान का ओढ़े उधड़ा खेश 

गस खाती ख़ुद से बतियाती रहती हैं

भूल की फटी चादर बिछाए धरणी-सी 

परिवार के स्वप्न सींचती रहती हैं 

बचपन का आँगन तो भूली सो भूली

ख़ून के रिश्तों के साथ-साथ भूल जाती हैं!

चूल्हे की गर्म रोटी का स्वाद

रात की बासी रोटी बड़े चाव से खातीं 

अन्न को सहेजना सिखाती हैं 

सच ही कहते हो तुम

ये औरतें भी न बड़ी भुलक्कड़ होती हैं 

समय के साथ सब भूल जाती हैं।


@अनीता सैनी 'दीप्ति'


13 टिप्‍पणियां:


  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 1मार्च 2023 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
    अथ स्वागतम शुभ स्वागतम।

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  2. सरल शब्दों में गहरी पर खूबसूरत अभिव्यक्ति

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  3. याद ही कहाँ रहता है कुछ
    चप्पल की साइज़ तो छोड़ो
    अपने ही पैरों के निशान भूल जाती हैं
    स्वयं को भूलकर गृहस्थी में डूबी औरतें ऐसी ही तो होती हैं जैसा आपने चित्रित किया है । गहन अभिव्यक्ति ।

    जवाब देंहटाएं
  4. आपकी लिखी रचना सोमवार 6 मार्च 2023 को
    पांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    संगीता स्वरूप

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  5. सच! समय के साथ सब भूल जाती हैं।
    नारी जीवन पर सटीक अभिव्यक्ति।

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    उत्तर
    1. बेनामी29/3/23, 6:41 pm

      एक तरफ कहा जाता है कि महिलाएं किसी बात को छुपा नहीं पातीं हैं।
      एक तरफ उनको भुलक्कड़ कहा जा रहा है।

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  6. भूल की फटी चादर बिछाए धरणी-सी
    परिवार के स्वप्न सींचती रहती हैं ।
    हर बार की तरह मर्म स्पर्शी सार्थक सृजन।
    बहुत गहनता से महसूस किया सत्य।
    सुंदर सृजन।
    होली पर हार्दिक शुभकामनाएं 🌷

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  7. भूलना शायद विवशता होती है इन भुलक्कड़ औरतों की यादों के बोझ तले जीवन का भार उठाया नहीं जाता इनसे
    उम्दा सृजन।

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    उत्तर
    1. बेनामी29/3/23, 6:34 pm

      औरतों पर इतनी जिम्मेदारियां सौंप दी गई है कि उस काम से फुर्सत ही नहीं है।
      सुबह बच्चों को उठाना, नहलाना, स्कूल के लिए टिफ्फीन तैयार करना।
      आदि।

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  8. नारी मन को उकेरता सार्थक रचना,होली की हार्दिक शुभकामनायें अनीता

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  9. डॉ विभा नायक9/3/23, 10:44 am

    बहुत प्यारे भाव💐

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  10. ये औरतें भी न बड़ी भुलक्कड़ होती हैं

    समय के साथ सब भूल जाती हैं।
    आह….❤️

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