गूँगी गुड़िया
अनीता सैनी
मंगलवार, 21 अगस्त 2018
मैं
मैं का नाता
मनुज से गहरा
छूट रहा जग
मैं में ठहरा ।
मैं का दरिया
मैं का पहरा
ढूब रहा जग
मैं का अँधेरा।
छिपा रहे हैं
अपना चेहरा
दिखा रहे
प्रभाव हैं गहरा।
मैं की रस्सी
मैं का जाल
मानवता का
हुआ यह हाल।
#अनीता सैनी
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