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सोमवार, मार्च 4

सत्य का डोलता अस्तित्त्व


                                      
     वक़्त के थपेड़ों से, 
    मन कुछ  डोल-सा गया, 
    बुनियाद पर किया विचार, 
    फिर आज को तौल-सा गया |

    ख़तरे  में  अस्तित्त्व,  
   छूट   रही   पहचान,  
    गर्दिश  चेहरे  पर, 
    खोखला हुआ इनाम |

    झूठ, हिंसा,  भारी  तन पर, 
    रहा,  सत्ता-शक्ति   का  हाथ, 
  राह    चुनी     प्रीत  की, 
   हुई    द्वेष    के   साथ |


    समय   के  सागर  में, 
  निष्ठा  और  आत्मविश्वास, 
   क़दमों  को  गढ़ाये   रखा, 
   साथ   अटूट   विश्वास |

        - अनीता सैनी 

28 टिप्‍पणियां:

  1. ब्लॉग बुलेटिन टीम की और मेरी ओर से आप सब को महाशिवरात्रि पर बधाइयाँ और हार्दिक शुभकामनाएँ |


    ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 04/03/2019 की बुलेटिन, " महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  2. समय के सागर में
    निष्ठा और आत्मविश्वास
    क़दमों को गढ़ाए रखा
    साथ अटूट विश्वास |
    सुंदर लेखन आदरणीया ।

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  3. बहुत सुंदर रचना सखी

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  4. हमेशा की तरह बहुत खूब ......स्नेह सखी

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  5. बहुत सुन्दर रचना

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  6. समय के सागर में
    निष्ठा और आत्मविश्वास क़दमों को गढ़ाए रखा
    साथ अटूट विश्वास |
    बहुत सुन्दर,सार्थक चिन्तनपरक रचना......

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  7. समय के सागर में
    निष्ठा और आत्मविश्वास
    क़दमों को गढ़ाए रखा
    साथ अटूट विश्वास |
    अप्रतिम सखी विशेष भाव लिये रचना।

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  8. समय के सागर में
    निष्ठा और आत्मविश्वास
    क़दमों को गढ़ाए रखा
    साथ अटूट विश्वास |
    अच्छी रचना...अंतिम पंक्तियाँ तो बहुत ही अच्छी लगीं.

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  9. विश्वास की डोर हाथ में रहना जरूरी है ... जीवन के लिए ...

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  10. जी ठिक कहा आदरणीय आप ने
    प्रणाम
    आभार
    सादर

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