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शुक्रवार, सितंबर 27

सुर-सरगम सजा साँसों में

  

  क़ुदरत का कोमल कलेवर कण-कण में हुआ स्पंदित,   
 लहराई लताएँ धरा के उपवन में मायूस मन हुआ सुरभित |

   रिदम धड़कनों में  प्रति पहर  खनकी ,  
 राग-अनुराग का एहसास है ऐसा, 
सुर-सरगम सजा साँसों में संगीत अधरों पर,  
 शब्द-भावों ने पहना लिबास वीणा की धुन के जैसा |

 सृष्टि ने  सजोया  सात सुरों में सुन्दर जीवन,
 सुर साज़-सा सजे  जीवन-संगीत आजीवन |

संयोग-वियोग के भँवर में गूँथी रागिनी, 
राग भैरव-भैरवी प्रभात को मुखरकर जाती,  
 चंचल चित्त की चीत्कार अधरों ने थामी,  
पसीजती राग मेघमल्हण बदरी बरसाती  |

 अहर्निश पहर-दर-पहर सुरम्य संगीत मल्हाता,   
प्रकृति का कण-कण सुर में मधुर संगीत है गाता  |

© अनीता सैनी  

28 टिप्‍पणियां:

  1. अति सुंदर।
    शब्दो को क्या खूब गढ़ दिया हैं।भाषा और भावों का ये संगम बहुत ही मन भावन हैं।

    संयोग-वियोग के भँवर में गूँथी रागिनी,
    राग मल्हाण-प्रभात को मुखरकर जाती,
    चंचल चित्त की चीत्कार अधरों ने थामी,
    पसीजती राग-भैरवी बदरी बरसाती |

    सादर

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आप का आदरणीय
      सादर

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  2. अहर्निश पहर-दर-पहर सुरम्य संगीत मल्हाता,
    प्रकृति का कण-कण सुर में मधुर संगीत है गाता |
    बेहतरीन रचना सखी 👌

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सस्नेह आभार बहना आप की समीक्षा से रचना को प्रवाह मिला
      सादर

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  3. अहर्निश पहर-दर-पहर सुरम्य संगीत मल्हाता,
    प्रकृति का कण-कण सुर में मधुर संगीत है गाता |
    संगीत के सुर ताल और भावों का लाजवाब सामंजस्य... बहुत सुन्दर रचना 👌👌

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    1. सस्नेह आभार प्रिय मीना बहन सुन्दर समीक्षा से रचना को नवाज़ने के लिए |आप की साहित्यक समीक्षा से रचना सौंदर्यकरण और निखारकर आया है
      सादर

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  4. संयोग-वियोग के भँवर में गूँथी रागिनी,
    राग मल्हाण-प्रभात को मुखरकर जाती,
    चंचल चित्त की चीत्कार अधरों ने थामी,
    पसीजती राग-भैरवी बदरी बरसाती !!!
    मनमोहक सृजन प्रिय अनिता!!!👌👌👌👌👌|

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    1. तहे दिल से आभार प्रिय रेणु दी सुन्दर समीक्षा से मेरा मनोबल बढ़ाने हेतु |
      सादर

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  5. ohh...aapki bhash shaili bahut asardaar aur shudh he

    bahut rsantta htoi he aapko pdh ke


    bahut khoobsurat rchnaa huyi he

    संयोग-वियोग के भँवर में गूँथी रागिनी,
    राग मल्हाण-प्रभात को मुखरकर जाती,
    चंचल चित्त की चीत्कार अधरों ने थामी,
    पसीजती राग-भैरवी बदरी बरसाती |


    bdhaayi

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    1. सस्नेह आभार प्रिय सखी सुन्दर समीक्षा हेतु
      सादर

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  6. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
    ३० सितंबर २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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    1. सस्नेह आभार प्रिय श्वेता दी हमक़दम में मुझे स्थान देने के लिए |
      सादर

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  7. जी नमस्ते,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (30-09-2019) को " गुजरता वक्त " (चर्चा अंक- 3474) पर भी होगी।

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    उत्तर
    1. सहृदय आभार आदरणीय रवीन्द्र जी चर्चामंच पर मुझे स्थान देने के लिए |
      सादर

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  8. प्राकृति के इस सुन्दर संगीत को जो सुन पाता है जीवन का स्वाद ले जाता है ... हर राग, हर भाव इन मधुर लम्हों में बसा होता है प्राकृति के ...
    बहुत भावपूर्ण रचना है ...

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    उत्तर
    1. बहुत बहुत आभार आदरणीय दिगंबर नासवा जी -आप की समीक्षा हमेशा ही सुकून प्रदक रहती है उत्साह का छोर थमती सुन्दर समीक्षा के लिए आभार
      सादर

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  9. मशीनों के कर्कश शोर के बीच में प्रकृति का सुरम्य संगीत?
    सपना ही होगा लेकिन इसे टूटने मत देना.

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    1. बहुत बहुत आभार सर आप का - आप के सानिध्य से हमेशा से ही अभिभावक स्नेह मिला है अपना आशीर्वाद हमेशा बनाये रखे |सही कहा आप ने मन ने अपने चारों और एक कल्पनाओं का जहाँ बसा किया है भगवान करें ये भर्म कभी न टूटे...
      प्रणाम
      सादर

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  10. बहुत सुंदर, भावपूर्ण सृजन अनीता जी

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  11. प्रकृति, सुर, और स्वभाव सभी के अद्भुत सामंजस्य को सुंदर शब्दों में दर्शाती अभिनव रचना।
    रागिनियों के भावों को अभिव्यक्त करती सुंदर काव्यात्मक प्रस्तुति।
    अनुपम।

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    उत्तर
    1. रचना पर आपकी प्रशंसाभरी टिप्पणी पाकर अभिभूत हूँ प्रिय कुसुम दी |
      आपका साथ यों ही बना रहे,ब्लॉग जगत में आपका स्नेहभरा हाथ मेरे ऊपर है |
      सादर

      हटाएं
  12. बहुत ही सुंदर सटीक और सार्थक रचना।मनमोहक और भावपूर्ण सृजन।

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    उत्तर
    1. सस्नेह आभार बहना सुन्दर समीक्षा हेतु
      सादर

      हटाएं
  13. बहुत ही खूबसूरत संगीतमयी रचना ....!!प्रात: भैरव -भैरवी और मेघमल्हार का अद्भुत संगम 👌👌

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    1. तहे दिल से आभार बहना सुन्दर समीक्षा के लिये
      सादर

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