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मंगलवार, अक्तूबर 15

करवा-चौथ के चाँद को निहारती



पावन प्रीत के सुन्दर सुकोमल सुमन, 
सुशोभित स्नेह से करती हर साल, 
अलंकृत करती हृदय में प्रति पल ,  
यादों का कलित मंगलमय थाल | 

  अखंड ज्योति प्रिये-प्रीत में सुलगती साँसों की,  
जीवन के प्रति दिन,दिन के प्रति पहर, 
फ़ासले सहेजती सीने में ,   
करती प्रज्वलित दिलों के दरमियाँ, 
प्रीत की राह में प्रेम के उजले दीप |

 कोमल कामना चिरायु की सजाये सीने में शिद्द्त से, 
करवा-चौथ के चाँद को निहारती,  
चाँद-चाँदनी बिछाये क़दम-क़दम पर राह में,  
 यही फ़रियाद करती सितारों से |

निर्जल देह से सिंचती प्रिये-पथ, 
 प्रति पहर करती पल्लवित,
आस्था के पनीले पत्तों की पावन बेल |

 टांगती पल-पल पात-पात पर, 
मधुर शब्दों में गूँथें विश्वास के मनमोहक गुँचे, 
 पावन प्रेमल प्रसून वह प्रार्थना में तुम्हारे |

© अनीता सैनी 

26 टिप्‍पणियां:

  1. टांगती है पल-पल पात-पात पर,
    मधुर शब्दों में गूँथें,
    विश्वास के मनमोहक गुँचे,
    और पावन प्रेमल प्रसून |
    निस्वार्थ निश्छल प्रेम की अनुभूति से सुसज्जित अनुपम
    रचना ।

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    1. सादर आभार प्रिय मीना दी जी. आप की सुन्दर समीक्षा हमेशा मनोबल प्रदान करती है. आप का स्नेह सानिध्य हमेशा बना रहे.

      हटाएं
  2. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (16-10-2019) को    "जीवन की अभिलाषा"   (चर्चा अंक- 3490)     पर भी होगी। 
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
     --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'  

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    1. सादर आभार आदरणीय मेरी रचना को चर्चामंच पर स्थान देने हेतु.
      सादर प्रणाम

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  3. प्रेम ,आस्था और विश्वास का पर्व हैं करवाचौथ ,बहुत सुंदर सृजन अनीता जी ,सादर स्नेह

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    1. सादर आभार आदरणीया कामिनी दी जी. स्नेह से सराबोर सुंदर समीक्षा हेतु.
      सादर

      हटाएं
  4. उत्तर
    1. सूरजमुखी-सा प्रेम का पौधा प्रियवर.
      बिन सूरज मुरझाये कह सूरज से छटे बदरिया.
      सूरज मुखड़ा अपना दिखाये.सुन्दर समीक्षा हेतु आभार मान्यवर.
      सादर

      हटाएं
  5. अति मनमोहक सृजन।
    प्रेम के पवित्र भावों और विश्वास की मजबूत डोर में लिपटा करवा चौथ का चाँद एक सुहागन के लिए जीवन में प्रियतम के प्रीत का रंग और गाढ़ा कर जाता है।

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    उत्तर
    1. बहुत सारा आभार दी मेरी रचना की मनमोहक समीक्षा हेतु। आपकी विश्लेषणात्मक प्रतिक्रिया से रचना का मान बढ़ जाता है।
      सादर आभार।

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  6. उत्तर
    1. सादर आभार आदरणीय सुन्दर समीक्षा हेतु.
      सादर

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  7. आस्था और विश्वास, उस पर प्रगाढ़ रोम रोम में व्याप्त स्नेह, कैसे अमृत बूंद सा छलकाया है ,
    लो इतनी सरस काव्य सरि को देखने स्वयं चाॅ॑द निकल आया है ।
    ‌वाह्ह्ह्ह् सृजन , उत्कृष्ट।

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    1. बहुत सारा आभार आदरणीया कुसुम दी रचना की इतनी मनमोहक समीक्षा के लिये।
      आपकी टिप्पणी ने रचना में चार चांद लगा दिए हैं।
      सादर आभार। आपका स्नेह मुझ पर यों ही बरसता रहे।

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  8. करवा-चौथ के चाँद को निहारती,
    चाँद-चाँदनी बिछाये क़दम-क़दम पर राह में,
    यही फ़रियाद करती सितारों से |
    निर्जल देह से सिंचती प्रिये-पथ,
    प्रति पहर करती पल्लवित,
    आस्था के पनीले पत्तों की पावन बेल |
    दाम्पत्य बन्धन के पवित्र प्रेम और करवाचौथ व्रत की आस्था और विश्वास पर आधारित बहुत ही लाजवाब उत्कृष्ट सृजन
    वाह!!!

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    उत्तर
    1. सादर आभार सुधा दी इतनी ख़ूबसूरत समीक्षात्मक प्रतिक्रिया के लिये।
      आपकी विस्तृत टिप्पणी ने रचना का मर्म स्पष्ट कर दिया है।
      ब्लॉग पर आपका बहुत- बहुत स्वागत है।
      सादर।

      हटाएं
  9. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में गुरुवार 17 अक्टूबर 2019 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    उत्तर
    1. सहृदय आभार आदरणीय पाँच लिंकों में मुझे स्थान देने हेतु.
      सादर नमन.

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  10. वाह!!सखी ,बहुत खूबसूरत सृजन !प्रेम ,आस्था और विश्वास का प्रतीक यह पर्व शुभ हो 🙏

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    1. सस्नेह आभार आदरणीया शुभा दी जी.रचना को सुन्दर समीक्षा से नवाज़ने हेतु.
      सादर

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  11. विश्वास और प्रेम की सुंदर भावनाओं से सजी मनमोहक प्रस्तुति
    शुभ करवाचौथ अनीता जी

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सादर आभार आदरणीया रितु दी.बहुत बहुत शुक्रिया आपका
      सादर

      हटाएं
  12. पावन प्रीत के सुन्दर सुकोमल सुमन,
    सुशोभित स्नेह से करती हर साल,
    अलंकृत करती हृदय में प्रति पल ,
    यादों का कलित मंगलमय थाल | वाह!! बेहद खूबसूरत रचना सखी 👌

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    उत्तर
    1. सादर आभार आदरणीया अनुराधा दी. सुन्दर समीक्षा और अपार स्नेह हेतु.
      सादर

      हटाएं
  13. टांगती पल-पल पात-पात पर,
    मधुर शब्दों में गूँथें विश्वास के मनमोहक गुँचे,
    पावन प्रेमल प्रसून वह प्रार्थना में तुम्हारे |
    बहुत सुंदर , प्रिय अनिता। दूर से पति के प्रेम मे
    आकंठ डूबी , पल पल दुआओं का थाल सजाती समेंर्पिता पत्नी के स्नेहिल भावों को संजोती भावपूर्ण रचना। अनुप्रास के प्रयोग ने रचना की शोभा बढ़ा दी है। सुहाग पर्व की हार्दिक शुभकामनायें और बधाई। ये साथ अटल रहे यही दुआ है। 💐🌷💐🌷🌷💐🌷💐

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    1. ढेर सारा आभार रेणु दी रचना की मनमोहक विस्तृत व्याख्यात्मक समीक्षा के लिये। आपकी टिप्पणी ने रचना का मर्म स्पष्ट करते हुए मान बढ़ाया है। आपका स्नेह और आशीर्वाद सदैव मेरे साथ बना रहे।
      सादर आभार।

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