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शुक्रवार, जनवरी 3

कलावन्त विहान में लीयमान



सुख-समृद्धि यश-वैभव दयावंत,  
वैभवचारी-सा चतुर्दिश सत-उजियारा,  
प्रिय प्रीत में प्रतीक्षामान थीं,   
उत्सुक आँखें अनिमेष भोर कीं,  
तन्मय-सी ताकती तुषार-बूंदें,  
मोहक नवल नव विहान को। 

खग-वृंद के कलनाद में अतृप्त,  

अनवरत ऊँघती अकुंचित व्याकुलताएँ,    
नादमय उन्मुक्त संसृति स्मृति,  
गूँजती घन घटाओं के आँगन में,  
पुनीत पल्लव कुसुमन पुलकित,  
क्षण-क्षण हुए शून्य में भाव-विभोर। 

 कृपापात्र छलका व्योम नैनन में, 
 निशा निश्छल थी अभिमन्त्रित,  
अनथक कामना लिये  हृदय में,
  नवांकुर प्रभामय पुलकित प्रभात,  
प्रीतप्रवण-सा शब्दविहीन था गुँजन,   
कृतकृत्य कलावन्त विहान में लीयमान। 

©अनीता सैनी 


18 टिप्‍पणियां:

  1. अद्भुत रचना सखी 👌

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    1. सस्नेह आभार सखी उत्साहवर्धन हेतु.
      सादर

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  2. तत्सम शब्दों से सजी सुंदर रचना! साधुवाद!

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    1. सादर आभार आदरणीय सुन्दर समीक्षा हेतु.
      सादर

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  3.  जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 3 जनवरी 2020 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद! ,

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    1. सादर आभार प्रिय श्वेता दी मेरी रचना को मंच प्रदान करने हेतु.

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  4. वाह अनुपम शब्दों का संगम 💐💐

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  5. वाह !

    शब्द चमत्कार का अनुपम समागम लेकर उपस्थित हुई मनमोहिनी अभिव्यक्ति। रचना का शब्द-शब्द भावात्मकता से अलंकृत होकर अनूठे अर्थों के साथ वाचक को काव्य-सौंदर्य के उत्कृष्ट मानदंडों से परिचित कराता है। भाव गाम्भीर्य के साथ विराट कल्पनालोक में बिम्बों और प्रतीकों का अद्भुत चयन इस रचना को विशिष्ट श्रेणी में शुमार करता है। भावपक्ष और कलापक्ष एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा करते नज़र आते हैं।

    सराहनीय एवं प्रशंसनीय सृजन।

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    1. सादर नमन आदरणीय सर रचना का मर्म स्पष्ट करती सारगर्भित समीक्षा हेतु. अपना आशीर्वाद बनाये रखे.
      सादर

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  6. प्रिय प्रीत में प्रतीक्षामान थीं,
    उत्सुक आँखें अनिमेष भोर कीं,
    तन्मय-सी ताकती तुषार-बूंदें,
    मोहक नवल नव विहान को |
    बहुत ही लाजवाब सृजन
    खूबसूरत प्रतिमानों के साथ अद्भुत शब्दविन्यास
    वाह!!!!

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    1. सादर आभार आदरणीय सुधा दी सुन्दर समीक्षा हेतु. स्नेह और सानिध्य बनाये रखे.
      सादर

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  7. वाह
    बहुत सुंदर सृजन
    सादर

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    1. सादर नमन आदरणीय सर उत्साहवर्धक समीक्षा हेतु.
      सादर

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  8. वाह सरस भाव सरस सृजन कोमल विहान मन को उर्जा देता सा ।

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    1. सादर आभार आदरणीया दीदी जी सुन्दर और मोहक समीक्षा हेतु. आपका आशीर्वाद यों ही बना रहे.
      सादर

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