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गुरुवार, जनवरी 23

गणतन्त्र दिवस पर मिट्टी हिंद की सहर्ष बोल उठी



मिट्टी हिंद की सहर्ष जय गणतन्त्र बोल उठी है 
मिटी नहीं कहानी आज़ादी के मतवालों की, 
बन पड़ी फिर ठण्डी रेत पर उनकी कई परछाइयाँ, 
   आज़ादी के लिये जिन्होनें साँसें अपनी गँवायीं थीं
कुछ प्रतिबिम्ब दौड़े पानी की सतह पर आये,
कुछ तैर न पाये तलहटी में समाये,
कुछ यादें ज़ेहन में सोयीं थीं कुछ रोयीं थीं, 
 कुछ रुठी हुई पीड़ा में अपनी खोयीं थीं, 
मिट्टी हिंद की सहर्ष  बोल उठी, 
मिटी नहीं कहानी वे छायाएँ-मिट पायी थीं। 

बँटवारे का दर्द भूलकर,
कुछ लिये हाथों में तिरंगा दौड़ रही थीं, 
अधिराज्य से पूर्ण स्वराज का, 
सुन्दर स्वप्न नम नयनों में सजोये थीं,
नीरव निश्छल तारे टूटे पूत-से,
टूटी कड़ी अन्तहीन दासता के आँचल की थीं,
लिखी लहू से आज़ादी की
 संघर्ष से उपजी वीरों की लिखी कहानी थी, 
मिट्टी हिंद की सहर्ष  बोल उठी, 
मिटी नहीं कहानी वे छायाएँ-मिट पायी थी। 

बहकी हवा फिर बोल रही,
बालू की झील में शाँत-सी एक लहर उठी,
नव निर्माण के नवीन ढेर निर्मितकर,
उत्साह जनमानस के हृदय में घोल रही, 
एकता अखंडता सद्भाव के सूत्र, 
पिरोतीं विकास की अनंत  आशाएँ थीं, 
धरती नभ समंदर से चन्द्रभानु भी कहता है, 
लिख रहा हर भारतवासी, 
ख़ून-पसीने से गणतन्त्र की नई इबारत है, 
मिट्टी हिंद की सहर्ष  बोल उठी है, 
मिटी नहीं कहानी वे छायाएँ-मिट पायी थी। 

©अनीता सैनी  

22 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर और समसामयिक सृजन, अनीता बहन।

    जबतक हम अपने बलिदानियों को याद रखेंगे,
    न तो हमारी कहानी मिटेगी और न ही इतिहास।

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    1. सादर आभार आदरणीय शशि भाई उत्साहवर्धक समीक्षा हेतु.
      सादर

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  2. बहुत ही बेहतरीन रचना सखी 👌👌

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  3. ज़ाहिर व गुमनाम शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करती मार्मिक अभिव्यक्ति. गणतंत्र हमारी आन-बान-शान है जिसके लिये देशप्रेम का जज़्बा पैदा करती रचनाओं की आज महती आवश्यकता है.
    पिछली पीढ़ी ने जो विरासत हमें सौंपी है उसे परिमार्जन और पल्लवन के साथ अगली पीढ़ी में भी स्थानांतरित करनी है.
    जय हिंद!

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    1. सादर आभार आदरणीय रविन्द्र जी सर रचना का मर्म स्पष्ट करती सुन्दर सारगर्भित समीक्षा हेतु. आपका आशीर्वाद यों ही बना रहे.
      प्रणाम
      सादर

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  4. लिखी लहू से आज़ादी की
    संघर्ष से उपजी वीरों की लिखी कहानी थी,
    मिट्टी हिंद की सहर्ष बोल उठी,
    मिटी नहीं कहानी छायाएँ-मिट पायी थी।

    देशभक्ति के भावों से सम्पन्न अति सुन्दर सृजन । जय हिन्द !!

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    1. सादर आभार आदरणीया मीना दीदी जी उत्साहवर्धक समीक्षा हेतु.
      सादर

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  5. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार २४ जनवरी २०२० के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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    1. सादर आभार आदरणीय श्वेता दीदी जी पांच लिंकों के आनंद में मेरी रचना को स्थान देने हेतु.
      सादर स्नेह

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  6. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (24-01-2020) को  " दर्पण मेरा" (चर्चा अंक - 3590)  पर भी होगी
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का
    महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    .....
    अनीता लागुरी 'अनु '

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    उत्तर
    1. सादर आभार प्रिय अनु मेरी रचना को चर्चामंच पर स्थान देने हेतु.
      सादर स्नेह

      हटाएं
  7. बेहतरीन रचना सखी

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  8. मिट्टी हिंद की सहर्ष बोल उठी,
    मिटी नहीं कहानी छायाएँ-मिट पायी थी।

    देशभक्ति से सम्पन्न

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  9. बँटवारे का दर्द भूलकर,
    कुछ लिये हाथों में तिरंगा दौड़ रही थीं,
    अधिराज्य से पूर्ण स्वराज का,
    सुन्दर स्वप्न नम नयनों में सजोये थीं,

    बहुत खूब ,सत सत नमन वीरों को ,जय हिन्द

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    उत्तर
    1. सादर आभार आदरणीया कामिनी दीदी जी उत्साहवर्धक समीक्षा हेतु.
      सादर स्नेह

      हटाएं
  10. बहुत ही सुंदर भाव संजोये बेहतरीन रचना । गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं आदरणीया

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    1. सहृदय आभार आदरणीय उत्साहवर्धक समीक्षा हेतु.
      सादर

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