सैनिकों की प्रीत को परिमाण में न तोलना
वे प्राणरुपी पुष्प देश को हैं सौंपतें।
स्वप्न नहीं देखतीं उनकी कोमल आँखें
नींद की आहूति जीवन अग्नि में हैं झोंकते।
ऐंठन की शोथ सताती,चेतना गति करती।
ख़तरे के शंख उनके कानों में भी हैं बजते।
फिर भी दहलीज़ की पुकार अनसुनी कर
दुराशा मिटाने को दर्द भरी घुटन हैं पीते।
वे गिलहरी-से कोटरों से नहीं झाँकतें
नहीं तलाशते कंबल में संबल शीश पर आसमान लिए।
नहीं तलाशते कंबल में संबल शीश पर आसमान लिए।
द्वेष की दुर्गंध से दूर मानवता महकाते
ऐसे माटी के लाल मनमोही मन में हैं रम जाते।
©अनीता सैनी 'दीप्ति'
माटी के लाल..देश की सेना के ज़ाबाजों के शौर्य के सम्मान में अनुपम सृजन । कारगिल विजय दिवस पर माँ भारती के वीर सपूतों को नमन ।
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ आदरणीय मीना दी आपकी हमेशा ही आप मेरा मनोबल बढ़ाती हैं आपकी प्रतिक्रिया मेरा संबल है स्नेह आशीर्वाद बनाए रखे।
हटाएंसादर
सैनिक कर्म को नमन करती भावपूर्ण रचना प्रिय अनीता| वीर जवानों की प्रशस्ति में जो लिखा जाए थोड़ा है | कारगिल विजय पर प्राणोत्सर्ग करने वाली हुतात्माओं को सादर नमन | जय हिन्द !!!!!!!!!
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय रेणु दीदी सारगर्भित प्रतिक्रिया हेतु।
हटाएंसंबल मिला आपके आने से स्नेह आशीर्वाद बनाए रखे ।
सादर
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 27 जुलाई 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय संध्या दैनिक में स्थान देने हेतु।
हटाएंसादर
कारगिल विजय दिवस पर देश के बहादुर जाँबाज़ सैनिकों को समर्पित रचना सैनिक की विस्तृत सोच को दर्शाती है।
जवाब देंहटाएंसैनकों का अकल्पनीय कठिनाइयों से भरा जीवन सदैव स्तुत्य है।
शहीदों का स्मरण करते हुए शत-शत नमन।
सादर आभार आदरणीय मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
हटाएंआशीर्वाद बनाए रखे।
सादर
फिर भी दहलीज़ की पुकार अनसुनी कर
जवाब देंहटाएंदुराशा मिटाने को दर्द भरी घुटन हैं पीते।... देश के सपूतों के लिए इससे अच्छी भावाव्यक्ति नहीं हो सकती..अनीता जी
सादर आभार आदरणीय अलकनंदा दीदी मनोबल बढ़ने हेतु।
हटाएंसादर
कारगिल विजय दिवस पर रची गयी सुन्दर व सार्थक प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय सर मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु ।
हटाएंसादर
शहीदों को शत शत नमन जय जवान जय हिन्द की सेना
जवाब देंहटाएंशत-शत नमन अमर शहीदों को 🙏।
हटाएंसादर नमस्कार,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा मंगलवार (२८-७-२०२०) को
"माटी के लाल" (चर्चा अंक 3776) पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित है
सादर आभार दी चर्चामंच पर स्थान देने हेतु ।
हटाएंसादर
सैनिकों की प्रीत को परिमाण में न तोलना
जवाब देंहटाएंवे प्राणरुपी पुष्प देश को हैं सौंपतें।
स्वप्न नहीं देखतीं उनकी कोमल आँखें
नींद की आहूति जीवन अग्नि में हैं झोंकते।
वीर सपूतों को समर्पित बहुत सुंदर रचना सखी। शहीदों के चरणों में शत् शत् नमन 🙏
सादर आभार आदरणीय अनुराधा दीदी मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
हटाएंसादर
कारगिल विजय दिवस पर सुन्दर कविता
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय...ब्लॉक पर आप का स्वागत है ।
हटाएंसादर
हमेशा की तरह बेहतरीन
जवाब देंहटाएंसादर आभार अनुज मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
हटाएंसादर
आदरणीया अनीता जी, नमस्ते ! आपने कारगिल विजय दिवस पर सेनानियों के बलिदान को अपनी कविता द्वारा नई ऊंचाइयां प्रदान की है। बहुत भावुक कर देने वाली रचना ! --ब्रजेन्द्र नाथ
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ आदरणीय आपकी प्रतिक्रिया मिली।
हटाएंबहुत बहुत शुक्रिया ।
आशीर्वाद बनाए रखे।
सादर
कारगिल विजय दिवस पर सेनानियों के बलिदान पर लिखी हुई भावपूर्ण बेहतरीन रचना अनिता जी।
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय दी मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
हटाएंसादर
सादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (27-2-22) को एहसास के गुँचे' "(चर्चा अंक 4354)पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
--
कामिनी सिन्हा
हृदय स्पर्शी सृजन सैनिकों की मनोस्थिति, उनका अदम्य साहस,और बलिदान गाथा सभी एक रचना में ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सृजन।
Jude hmare sath apni kavita ko online profile bnake logo ke beech share kre
जवाब देंहटाएंPub Dials aur agr aap book publish krana chahte hai aaj hi hmare publishing consultant se baat krein Online Book Publishers