पाहुन कुरजां
स्मृतियाँ छोड़ ज़ेहन में
उड़ जाते हैं सुने नभ में
प्रभात के मोती सज़ा
दूधिया पँखों पर
पी संदेश है सुनाता
मन-विथियों में विचरता
खुली आँखों में स्वप्न लिए
कुहासे में है खो जाता
होठों पर चुप्पी लिए
भावना से छूना
आना और चले जाना।
@अनीता सैनी 'दीप्ति'
सादर नमस्कार,
जवाब देंहटाएंआपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 25-12-2020) को "पन्थ अनोखा बतलाया" (चर्चा अंक- 3926) पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित है।
धन्यवाद.
…
"मीना भारद्वाज"
बहुत सुन्दर और भावभीनी रचना।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन। बहुत सुंदर सृजन।
जवाब देंहटाएंसुंदर,मनोहारी कविता..।
जवाब देंहटाएंप्रेम का सुन्दर छुअन ...
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंसुंदर मुग्ध करता काव्य! आना और चले जाना एक आशा की किरण छोड़ कर कि पी तक संदेशा पहुंचायेगी कुरजां
जवाब देंहटाएंऔर फिर इंतजार ।
बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना, अनिता दी।
जवाब देंहटाएंसूने नभ। वीथियों। सुन्दर सृजन।
जवाब देंहटाएंस्मृतियाँ जागने के बाद और कुछ कहाँ रह जाता है ...
जवाब देंहटाएंबस वो स्मृतियाँ बस ...
बहुत खूब ! आने वाला समय आपके और आपके समस्त परिवार के लिए मंगलमात हो !
जवाब देंहटाएंमन-विथियों में विचरता
जवाब देंहटाएंखुली आँखों में स्वप्न लिए
कुहासे में है खो जाता
बहुत सुन्दर मनभावन सृजन।
वाह!!!
कोमल पंखों पर विचरती सी रचना | बहुत सुन्दर |
जवाब देंहटाएंराजस्थानी होने के नाते मैं कुरजां से संबंधित भावों को भलीभांति अनुभव कर सकता हूँ । बहुत सुंदर और भावपूर्ण अभिव्यक्ति है यह अनीता जी । अभिनंदन ।
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