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गुरुवार, दिसंबर 24

कुरजां और प्रेम

पाहुन कुरजां

स्मृतियाँ छोड़ ज़ेहन में 

उड़ जाते हैं  सुने नभ में


प्रभात के मोती सज़ा 

दूधिया पँखों पर

 पी संदेश है सुनाता 

 

मन-विथियों में विचरता 

खुली आँखों में स्वप्न लिए 

 कुहासे में है खो जाता 

 

  होठों पर चुप्पी लिए 

भावना से  छूना 

आना और चले जाना।


@अनीता सैनी 'दीप्ति'


32 टिप्‍पणियां:

  1. सादर नमस्कार,
    आपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 25-12-2020) को "पन्थ अनोखा बतलाया" (चर्चा अंक- 3926) पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित है।
    धन्यवाद.

    "मीना भारद्वाज"

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय मीना दी चर्चामंच पर स्थान देने हेतु।
      सादर

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  2. प्रेम का सुन्दर छुअन ...

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    1. दिल से आभार प्रिय दी मोह जाती है आपकी प्रतिक्रिया।
      सादर

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  3. सुंदर मुग्ध करता काव्य! आना और चले जाना एक आशा की किरण छोड़ कर कि पी तक संदेशा पहुंचायेगी कुरजां
    और फिर इंतजार ।

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    1. दिल से आभार प्रिय कुसुम दी आपकी साहित्यक प्रतिक्रिया बड़ी अनमोल होती है।सृजन का मर्म स्पष्ट करने हेतु हार्दिक आभार।
      सादर

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  4. बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना...

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  5. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति

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  6. बहुत सुंदर रचना, अनिता दी।

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया प्रिय ज्योति बहन।
      सादर

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  7. सूने नभ। वीथियों। सुन्दर सृजन।

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सर।
      सादर

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  8. स्मृतियाँ जागने के बाद और कुछ कहाँ रह जाता है ...
    बस वो स्मृतियाँ बस ...

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सर।
      सादर

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  9. बहुत खूब ! आने वाला समय आपके और आपके समस्त परिवार के लिए मंगलमात हो !

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सर।
      सादर

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  10. मन-विथियों में विचरता

    खुली आँखों में स्वप्न लिए

    कुहासे में है खो जाता
    बहुत सुन्दर मनभावन सृजन।
    वाह!!!

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  11. कोमल पंखों पर विचरती सी रचना | बहुत सुन्दर |

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सर।
      सादर

      हटाएं
  12. राजस्थानी होने के नाते मैं कुरजां से संबंधित भावों को भलीभांति अनुभव कर सकता हूँ । बहुत सुंदर और भावपूर्ण अभिव्यक्ति है यह अनीता जी । अभिनंदन ।

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सर।
      सादर

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