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रविवार, फ़रवरी 7

मधुमास अंगना का मेरे

 तमसा के पथ पर उजियारा

जुगनू है जीवन का मेरे ।

हृदय शाख पर खिले फूल सा

मधुमास अंगना का मेरे।


उजली भोर गाती प्रभाती

गुनगुनी धूप सी मृदु बोली

तारक दल से मंजुल चितवन

शाँत चित्त मन्नत की मोली

संवेदन अंतस तक पैंठा

मानस कोमल सुत का मेरे  ।।


आँगन खिलता है शतदल सा

नयना निरख निरख कर सरसे

शीतल धार प्रवाह स्रोत सा

शुष्क राह पर पियूष बरसे

स्वप्न चढ़े ज्यों दृग पलकों पर

राज दुलारा मन का मेरे।।


चन्द्र रश्मियाँ तेज़ उड़ेले 

और चाँदनी करे शृंगार

मुखमंडल आभा से चमके

सौंपे ममता धीर उपहार

करूं निछावर सब कुछ उस पर

कंठ हार मोती का मेरे ।।


@अनीता सैनी 'दीप्ति'


32 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर रचना हेतु बधाई व शुभकामनाएं। ।।।

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सर।
      सादर

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  2. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन  में" आज रविवार 07 फरवरी को साझा की गई है.........  "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. सादर आभार आदरणीय दी सृजन को मंच प्रदान करने हेतु।
      सादर

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  3. वाह ! क्या बात है ! अति सुंदर रचना

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  4. तमसा के पथ पर उजियारा
    जुगनू है जीवन का मेरे ।
    हृदय शाख पर खिले फूल सा
    मधुमास अंगना का मेरे।
    वात्सल्य भाव से सृजित माँ के हृदय की बहुत प्यारी मंगल कामनाएं। सुन्दर सृजन और पुत्र जन्मदिवस पर हमारी भी शुभकामनाएं अनीता जी ।

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    1. दिल से आभार दी बेटे को आपका आशीर्वाद मिला।
      सादर

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  5. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा सोमवार 08 फ़रवरी 2021 को 'पश्चिम के दिन-वार' (चर्चा अंक- 3971) पर भी होगी।--
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्त्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाए।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया सर सृजन को मंच प्रदान करने हेतु।
      सादर

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  6. अनीता जी आपको बेटे के जन्मदिन की अनंत शुभकामनाएँ..मैंने आपका गीत देखा और सुना भी..बहुत ही मधुर एवं प्यारा..ईश्वर से कामना है आप ऐसे ही गीत बेटे के हर जन्मदिन पर लिखती रहें..सादर सप्रेम जिज्ञासा सिंह..

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    1. दिल से आभार प्रिय दी आपकी अनमोल प्रतिक्रिया मिली अत्यंत हर्ष हुआ।आशीर्वाद बनाए रखे।
      सादर

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  7. उजली भोर गाती प्रभाती

    गुनगुनी धूप सी मृदु बोली

    तारक दल से मंजुल चितवन

    शाँत चित्त मन्नत की मोली

    संवेदन अंतस तक पैंठा

    मानस कोमल सुत का मेरे ।।

    बहुत सुंदर पंक्तियां..
    सादर प्रणाम

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  8. बेटे के जन्मदिन पर सुन्दर रचना रची है आपने।
    बेटे को शुभाशीष और आपको बधाई हो।

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    1. हृदय से आभार सर बेटे को आपका आशीर्वाद मिला।
      सादर

      हटाएं
  9. प्रिय अनीता जी,
    सर्वप्रथम पुत्र के जन्मदिन की बधाई स्वीकार कीजिए। वह दीर्घायु हो, स्वस्थ प्रसन्न रहे। उसकी समस्त मनोकामनाएं पूरी हों !!!
    मेरी असीम शुभकामनाएं और आशीर्वाद 🙏🌹🙏

    सुंदर कविता लिखी है आपने... बहुत बधाई 🙏
    सस्नेह,
    डॉ. वर्षा सिंह

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    1. दिल से आभार प्रिय दी।
      अत्यंत हर्ष हुआ बेटे को आपका आशीर्वाद मिला।
      आशीर्वाद बनाए रखे।
      सादर

      हटाएं
  10. उजली भोर गाती प्रभाती

    गुनगुनी धूप सी मृदु बोली

    तारक दल से मंजुल चितवन

    शाँत चित्त मन्नत की मोली

    संवेदन अंतस तक पैंठा

    मानस कोमल सुत का मेरे ।।मुग्ध करती हुई बहुत ही सुन्दर रचना जैसे भावनाओं के मोतियों को सांसों में पिरोया हो - - साधुवाद आदरणीया अनीता जी ।बेटे को आशीर्वाद व असंख्य स्नेह - - शुभकामनाओं सह।

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया सर बेटे को आपका स्नेह आशीर्वाद मिला।अत्यंत हर्ष हुआ।मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया मिली सृजन सार्थक हुआ।
      सादर

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  11. वात्सल्य रस से सराबोर अभिनव सृजन।
    प्रिय पुत्र को मेरा असीम अनुराग और आशीर्वाद चीरंजीवी हो नयन का तारा, प्रिय बहना।
    आपके हर शब्द में ममता के
    सुंदर भावों का सिंधु लहरा रहा है।
    अनुपम सृजन।

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    1. दिल से आभार प्रिय दी...आपका स्नेह आशीर्वाद यों ही बना रहे।अत्यंत हर्ष हुआ आपकी प्रतिक्रिया और स्नेह मिला।
      सादर

      हटाएं
  12. पुत्र के जमन दिवस पर सुन्दर पंक्तियाँ जो सहज प्रेम में स्वतः ही लिक्खी गई हों जैसे ... बहुत आशीष जन दिवस पर ...

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    1. सहृदय आभार आदरणीय सर।
      बेटे को आपकी आशीष मिली अत्यंत हर्ष हुआ।
      सादर

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  13. सम्पूर्ण गीत बहुत ही सरस ह्रदय स्पर्शी |कही एक पल को अपनी मधुरता ने विमुख नहीं होता |

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    1. सादर आभार आदरणीय सर ऊर्जावान प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ।आशीर्वाद बनाए रखे।
      सादर

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  14. आँगन खिलता है शतदल सा

    नयना निरख निरख कर सरसे

    शीतल धार प्रवाह स्रोत सा

    शुष्क राह पर पियूष बरसे

    स्वप्न चढ़े ज्यों दृग पलकों पर

    राज दुलारा मन का मेरे।।

    वाह!!!!
    वात्सल्यमयी भावप्रवण सृजन....
    राजदुलारे को ढेर सारा आशीर्वाद एवं शुभकामनाएं
    आपको भी बहुत बहुत बधाई प्रिय अनीता जी!

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    1. सादर आभार आदरणीय सुधा दी मनोबल बढ़ाने हेतु।
      सादर

      हटाएं