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मंगलवार, अक्टूबर 19

उसके तोहफे

 उसके द्वारा दिए गए 

उपहार 

अनोखे होते हैं 

 जुदा, सबसे अलग 

कुकून में लिपटी

 तितली की तरह।


या कहूँ नंगे पाँव दौड़ती

 दुपहरी की  तरह

या फिर झुंड में बैठी

उदास शाम की तरह

बड़े अनोखे होते हैं

उसके द्वारा दिए उपहार।


कभी-कभार उसका

भूले से

अलगनी पर भूल जाना

भीड़ में भटके

अकेलेपन को 

दीन-दुनिया से बे-ख़बर

एकांत को 

सीली-सी रात में अंकुरित

एहसास को 

बड़े अनोखे होते हैं

उसके द्वारा दिए उपहार।


उन भीगे-से पलो में

सौंप देना ऊँची उड़ान

खुला आसमान

तारों को छूने की ललक

देखते ही देखते 

अंत में

मौली से बाँध देना मन को

अनोखे होते हैं उसके तोहफ़े 

अलग,सबसे अलग।


@अनीता सैनी 'दीप्ति'

22 टिप्‍पणियां:

  1. अद्भुत!! मन के भाव स्वछंद बिना किसी सहारे बह निकले।👌👌👌.
    एहसास अवगुंठन से निकल कर काव्य में ढल ग्रे।
    अभिनव अभिव्यक्ति।

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    उत्तर
    1. दिल से आभार आदरणीय कुसुम दी जी।
      स्नेह आशीर्वाद बनाए रखें।
      सादर

      हटाएं
  2. देखते ही देखते

    अंत में

    मौली से बाँध देना मन को

    अनोखे होते हैं उसके तोहफे

    अलग सबसे अलग।
    अनोखे तोहफे...इतने जज्बाती कि अनोखे शब्दों में बह निकली बिल्कुल अनोखी कविता....
    वाह!!!!

    जवाब देंहटाएं
  3. आपकी कविता तो बहुत ही सुंदर है अनीता जी। कृपया यह भी बता दें कि 'उसके' से आपका अभिप्राय किससे है?

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सादर नमस्कार सर।
      कोई नहीं है सर🥺
      मन का एक ख्याल है यह।
      आपके प्रश्न पर कुछ लिखने का मन हुआ।😂

      याद में उसकी नैना बरसे,
      सुबह-सवेरे दिल ये तरसे।
      प्रीत में उसकी सुध-बुध खोई।।
      ऐ ! सखी साजन!! ना सखी भाई।
      सादर

      हटाएं
    2. और अब यह जो 'कहमुकरी' आपने रच डाली है, उसका तो कहना ही क्या! बहुत ख़ूब!

      हटाएं
    3. आभारी हूँ सर।
      उत्साहवर्धन हेतु बहुत बहुत शुक्रिया।
      सादर

      हटाएं
  4. कविता लाजवाब जवाब लाजवाब :) :) :)

    जवाब देंहटाएं
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    1. अत्यंतहर्ष हुआ सर... सृजन सार्थक हुआ।
      सादर प्रणाम

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  5. भावों का दरिया अबाध गति से बहता हुआ । मनमोहक सृजन ।

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    1. दिल से अनेकानेक आभार आदरणीय मीना दी जी।
      स्नेह आशीर्वाद बनाए रखें।
      सादर

      हटाएं
  6. क्या बात है ! कोई नहीं है फिर भी कोई है

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    उत्तर
    1. आभारी हूँ सर।
      आशीर्वाद बनाए रखें।
      सादर

      हटाएं
  7. उन भीगे-से पलो में
    सौंप देना ऊँची उड़ान
    खुला आसमान
    तारों को छूने की ललक
    देखते ही देखते
    अंत में
    मौली से बाँध देना मन को
    अनोखे होते हैं उसके तोहफ़े
    अलग,सबसे अलग।
    बहुत गहरे भाव अद्भुत सृजन

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आभारी हूँ प्रिय मनीषा जी।
      आपको बहुत सारा स्नेह।
      सादर

      हटाएं
  8. तारों को छूने की ललक

    देखते ही देखते

    अंत में

    मौली से बाँध देना मन को

    अनोखे होते हैं उसके तोहफ़े

    अलग,सबसे अलग।
    .. बहुत सुंदर,अनुपम,अनमोल सी मन को छूती,सुगंध बिखेरती रचना ,बहुत बधाई प्रिय अनीता को ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आभारी हूँ आदरणीय जिज्ञासा दी जी मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
      स्नेह आशीर्वाद बनाए रखें।
      सादर

      हटाएं