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मंगलवार, सितंबर 13

कर्तव्य पथ



उनके लिए घर नहीं बना?

वह घर पर नहीं रह सकता ?

मैंने कुएँ से पूछा, उसने भी यही कहा!

उनके लिए घर नहीं बना

वह घर पर नहीं रह सकता 

सदियों से कुआँ ऐसा ही बोलता आया है

माँ ने कहा -

घर पर रहने से नाकारा, निकम्मा

होने की मुहर लगा दी जाती है 

वह ठप्पा उसे बहुत चुभता है 

चुभन से काया पर फफोले पड़ जाते हैं

जिससे उसे कोढ़ का आभास होता है

तू जानती है न?

कोढ़ी मरीज़ से सब दूर भागते हैं!

समाज से कटकर

वह जीवित नहीं रह सकता 

 टूटने-रूठने, आँखों में पानी भरने के 

किस गुनाह पर पता नहीं

परंतु ऐसे अधिकतर अधिकार

उससे छीन लिए गए हैं।

माँ की हाँ में 

गर्दन नहीं झुकाना चाहती थी 

स्वतः झुक गई

एक स्मृति के साथ 

एक बार उसने कहा था -

पंद्रह लोग गए थे हम 

दस सफ़र में छूट गए

पाँचो के नाम दिल्ली में लिखें हैं 

तब वह टूटना चाहता था, नहीं टूटा 

घर पर रुकना चाहता था, नहीं रुका!


@अनीता सैनी 'दीप्ति'

20 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।

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  2. बेनामी13/9/22, 10:53 pm

    पहली बार पढ़ा किसी महिला को पुरुष के लिए लड़ते हुए। गहन चिंतन है लेखनी में।
    कुएँ से पूछना और माँ के माध्यम से गज़ब कहा।
    - राजेंद्र

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  3. खूबसूरत भावपूर्ण कविता।

    जवाब देंहटाएं
  4. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज बुधवार (14-09-2022) को   "आओ हिन्दी-दिवस मनायें"   (चर्चा अंक 4551)  पर भी है।
    --
    कृपया कुछ लिंकों का अवलोकन करें और सकारात्मक टिप्पणी भी दें।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'  

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    उत्तर
    1. हृदय से आभार आपका सर मंच पर स्थान देने हेतु।

      हटाएं
  5. बहुत ही सुन्दर हृदय स्पर्शी रचना सखी हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुंदर रचना अनीता जी, वाह ...घर पर रहने से नाकारा, निकम्मा

    होने की मुहर लगा दी जाती है...ये एकदम सत्‍य है...जनजनबीती बात है

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  7. हृदय स्पर्शी सृजन प्रिय अनीता,एक फौजी पुरुष और उसकी संगिनी की मनोदशा का मार्मिक चित्रण।

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  8. अत्यंत मार्मिक... जैसे दृश्य उभर आया हो.… वही दर्द हो रहा हो..

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    उत्तर
    1. हृदय से आभार आपका आदरणीय दी।
      सृजन सार्थक हुआ।

      हटाएं
  9. आदरणीय , सुंदर अभिव्यक्ति , हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ।

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