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बुधवार, फ़रवरी 26

बीज रोप दे बंजर में... नवगीत



बीज रोप दे बंजर में कुछ,
यों कोई होश नहीं खोता,
अंशुमाली-सी ज्योति मन की,  
क्यों पीड़ा पथ में तू बोता।

मधुर भाव बहता जीवन में,
प्रीत प्रसून फिर नहीं झरता,
विरह वेदना लिखे लेखनी,
यों पाखी प्रेम नहीं मरता।

नभ-नूर बिछुड़ी तारिकाएँ, 
 व्याकुल होकर पुष्कर रोता, 
बीज रोप दे बंजर में कुछ,
यों कोई होश नहीं खोता।

कर्म कसौटी बाँध कमर से,
यों पथिक मक़ाम नहीं तकता,
पात-पात पर सजा समर्पण,
पारिजात क्षिति पर है खिलता।

कोमल भाव महक फूलों-सी,
मानव जीवन में  है  जोता, 
बीज रोप दे बंजर में कुछ,
यों कोई होश नहीं खोता।

©अनीता सैनी 

18 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 26 फरवरी 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. सादर आभार आदरणीया दीदी संध्या दैनिक में मुझे स्थान देने हेतु.
      सादर

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  2. बहुत सुंदर नवगीत 👌👌👌 बहुत बहुत बधाई 💐💐💐

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    1. सादर आभार सखी सुन्दर समीक्षा हेतु.
      सादर

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  3. बहुत सुंदर नबगीत आदरणीया मैम। सादर प्रणाम

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    1. सादर आभार प्रिय आँचल उत्साहवर्धक समीक्षा हेतु.
      सादर

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  4. कर्म कसौटी बाँध कमर से,
    यों पथिक मक़ाम नहीं तकता,
    पात-पात पर सजा समर्पण,
    पारिजात क्षिति पर है खिलता।
    वाह!!!
    लाजवाब नवगीत....

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    1. सादर आभार आदरणीय दीदी उत्साहवर्धक समीक्षा हेतु.
      सादर

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  5. बहुत अच्छी नवगीत प्रस्तुति

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    उत्तर
    1. सादर आभार आदरणीय दीदी सुन्दर समीक्षा हेतु.
      सादर

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  6. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 27.02.2020 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3624 में दिया जाएगा। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।

    धन्यवाद

    दिलबागसिंह विर्क

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    1. सादर आभार आदरणीय सर चर्चामंच पर मेरी रचना को स्थान देने हेतु.
      सादर

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  7. कर्म कसौटी बाँध कमर से,
    यों पथिक मक़ाम नहीं तकता,
    पात-पात पर सजा समर्पण,
    पारिजात क्षिति पर है खिलता।
    सुंदर भावों से भरा नवगीत प्रिय अनिता | बहुत - बहुत बधाई और शुभकामनायें

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    1. सादर आभार आदरणीय दीदी सुन्दर समीक्षा हेतु.
      सादर

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  8. सुंदर अभिव्यक्ति 👌👌👌 बधाई 🌸🌸🌸

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    1. सादर आभार आदरणीय सर उत्साहवर्धन समीक्षा हेतु.
      सादर प्रणाम

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