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गुरुवार, जुलाई 23

बरसात


कल आसमान साफ़ था 
फिर भी दिनभर पानी बरसता रहा।
बरसते पानी ने कहा बरसात नहीं है 
बरसात भिगोती है गलाती नहीं।

 सीली दीवारों पर चुप्पी की छाया थी 
न सूरज निकला न साँझ ढली।
 गरजे बादल चमकती रही बिजली 
न पक्षी चहके न घोंसले से निकले।

दौड़ते पानी से गलियाँ सिकुड़ी 
धुल गए वृक्ष झरते पानी के अनुराग से।
 धारा की शोभा सुशोभित हुई 
नव किसलय के शृंगार से।

मैं एकटक अपलक ताकती रिमझिम फुहार को 
भार बादलों का धरणी सहती रही।
रसोई से आँगन और बाज़ार की दूरी में मैं भीगती 
मुठ्ठीभर जीवन अँजुरी से रिसता रहा।

©अनीता सैनी 'दीप्ति'

30 टिप्‍पणियां:

  1. सादर नमस्कार,
    आपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार( 24-07-2020) को "घन गरजे चपला चमके" (चर्चा अंक-3772) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है ।

    "मीना भारद्वाज"

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    1. सादर आभार आदरणीय मीना दी चर्चामंच पर स्थान देने हेतु ।
      सादर

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  2. आ अनीता जी, बहुत सुंदर रचना!--ब्रजेन्द्रनाथ

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    1. सादर आभार आदरणीय सर मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु ।
      सादर

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  3. सीली दीवारों पर चुप्पी की छाया थी
    न सूरज निकला न साँझ ढली।
    गरजे बादल चमकती रही बिजली
    न पक्षी चहके न घोंसले से निकले।... इस कव‍िता से अपना बचपन याद आ गया ...क‍ि ''अम्मा ज़रा देख तो ऊपर चले आ रहे हैं बादल'' वाला .. बहुत धन्यवाद अनीता जी ... वहां बचपन की यादों में वापस ले जाने के ल‍िए

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    1. सादर आभार आदरणीय अलकनंदा दी मनोबल बढ़ाती सारगर्भित प्रतिक्रिया हेतु।
      सादर

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  4. मैं एकटक अपलक ताकती रिमझिम फुहार को
    भार बादलों का धरणी सहती रही।
    रसोई से आँगन और बाज़ार की दूरी में मैं भीगती
    मुठ्ठीभर जीवन अँजुरी से रिसता रहा।
    बहुत ही सुंदर,मनभावन सृजन अनीता जी

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    1. सादर आभार कामिनी दीदी मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
      सादर

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  5. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति, अनिता दी।

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    1. आभार हूँ आदरणीय ज्योति बहन मनोबल बढ़ाती सुंदर प्रतिक्रिया हेतु ।
      सादर

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  6. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 27 जुलाई 2020 को साझा की गयी है.......http://halchalwith5links.blogspot.com/ पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. सादर आभार आदरणीय यशोदा दीदी पाँच लिंकों पर स्थान देने हेतु ।
      सादर

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  7. दौड़ते पानी से गलियाँ सिकुड़ी
    धुल गए वृक्ष झरते पानी के अनुराग से।
    धारा की शोभा सुशोभित हुई
    नव किसलय के शृंगार से।

    बहुत सुंदर रचना प्रिय अनीता सैनी जी 🙏🍁

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    1. सादर आभार आदरणीया वर्षा दीदी मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु। स्नेह आशीर्वाद बनाए रखे ।
      सादर

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  8. मैं एकटक अपलक ताकती रिमझिम फुहार को
    भार बादलों का धरणी सहती रही।
    रसोई से आँगन और बाज़ार की दूरी में मैं भीगती
    मुठ्ठीभर जीवन अँजुरी से रिसता रहा।
    बहुत सुंदर और भावपूर्ण काव्य चित्र प्रिय अनीता !

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    1. आभारी हूँ आदरणीय रेणु दीदी मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु ।स्नेह आशीर्वाद बनाए रखे।
      सादर

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  9. वाह सखी बेहतरीन सृजन ।बहुत ही बढ़िया।

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    1. सादर आभार सुजाता बहना मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
      सादर

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  10. वाह!सखी ,क्या बात है ...बहुत ही खूबसूरत भावाभिव्यक्ति ।

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    1. आभारी हूँ आदरणीय दी मनोबल बढ़ाती सुंदर प्रतिक्रिया हेतु ।
      सादर

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  11. सुंदर अभिव्यक्ति

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  12. सुंदर अभिव्यक्ति

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  13. सुंदर अभिव्यक्ति

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  14. भावप्रवण मनमोहक सृजन।

    नवीन बिम्बों और प्रतीकों का प्रयोग रचना की ख़ूबसूरती बढ़ाने में सक्षम है।

    बरसात का अनूठे अंदाज़ का चित्रण।


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    1. सादर आभार आदरणीय सर मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
      सादर

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  15. आदरणीया मैम,
    बहुत ही सुंदर कविता।
    दौड़ते पानी से गलियाँ सिकुड़ी
    धुल गए वृक्ष झरते पानी के अनुराग से।
    धारा की शोभा सुशोभित हुई
    नव किसलय के शृंगार से।
    प्रकृति का बहुत सुंदर वर्णन। इतनी सुंदर रचना के लिए आभार।

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  16. ओ हो! बहुत सुंदर कोमल शब्दों में सुंदर प्रतीकों से सजी अभिनव रचना।
    अप्रतिम।

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    1. आभारी हूँ आदरणीय कुसुम दी आपके आने से संबल मिला।
      मनोबल बढ़ाने हेतु सादर आभार ।
      सादर

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