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रविवार, फ़रवरी 21

साथी


शीतल झरना झरे प्रीत का

बहता अनुराग हूँ साथी

सींचू सुमन समर्पण से 

कभी न बग़िया सूखे साथी।


मैं तेरे बागों  की शोभा

दूर्वा बनकर लहराऊँ 

रात चाँदनी तारों वाली

सपना बनकर सज जाऊँ 

बिछ जाऊँ बन प्रेम पुष्प 

पाँव चुभे न काँटे साथी ।।


 देहरी सजती भाव से

 प्रीत बसंत के साथ

आस कोंपले नित सींचू

पीव सतत थामना हाथ

ऋतुएँ  बदले पहनावा

यही जीवन शृंगार साथी।।


झड़े साख़ से पात सभी 

धूप-छाँव का खेल

जीवन में संताप हरुंगी 

नीर मेघ का मंजु मेल 

अमर बेल-सी सांस बढ़े 

 रहे न विरह साथ साथी।।


@अनीता सैनी 'दीप्ति'

46 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही सुंदर गीत लिखा है शब्द-शब्द सिद्धता पर खरा उतरता।यह सफ़र यों ही चलता रहे ।विवाह की 19 सालगिरह की शुभकामनायें एवं बधाई।ख़ुश रहो स्वस्थ रहो।

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (22-02-2021) को "शीतल झरना झरे प्रीत का"   (चर्चा अंक- 3985)    पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
     आप अन्य सामाजिक साइटों के अतिरिक्त दिल खोलकर दूसरों के ब्लॉगों पर भी अपनी टिप्पणी दीजिए। जिससे कि ब्लॉगों को जीवित रखा जा सके।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 
    --

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया सर चर्चामंच पर स्थान देने हेतु।
      सादर

      हटाएं
  3. उन्नीसवीं वैवाहिक वर्षगाँठ पर बहुत-बहुत बधाई
    और अशेष शुभकामनाएँ।

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  4. रात चाँदनी तारों वाली
    सपना बनकर सज जाऊँ
    खिल जाऊँ बन प्रेम पुष्प
    पाँव चुभे न काटें साथी ।।
    अति सुन्दर !!
    उन्नीसवीं वैवाहिक वर्षगांठ की अनन्त अशेष शुभकामनाएँँ 💐💐 नवगीत में बेहद उम्दा भाव बन पड़े हैं ।बहुत बहुत बधाई आप दोनों को💐💐

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  5. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 21 फरवरी 2021 को साझा की गई है.........  "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    उत्तर
    1. बहुत बहुत शुक्रिया सर सांध्य दैनिक पर स्थान देने हेतु।
      सादर

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  6. अति उत्तम, बहुत ही सुंदर गीत अनिता जी बधाई हो

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    1. दिल से आभार आदरणीय ज्योति जी।
      सादर

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  7. समर्पण का सुंदर भाव संजोए नायाब रचना..वैवाहिक वर्षगांठ की हार्दिक शुभकामनायें..

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    1. दिल से आभार आदरणीय जिज्ञासा जी।
      सादर

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  8. हृदय तल में संजोए कोमल विश्वास और समर्पण के भाव मुखरित हो मदमाते झरने से फूट पड़े हैं ।
    श्रृंगार रस में छलकता अनुराग सरस सुधा सा।
    सुंदर गीत।
    शादी के 19 बसंत, आप दोनों को आत्मीय स्नेह और शुभकामनाएं।

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    1. दिल से आभार प्रिय दी।
      आपका स्नेह आशीर्वाद यों ही बना रहे।
      सादर

      हटाएं
  9. सुन्दर भावों के स्रोत जैसे बहे जा रहें हो - - मुग्ध करती रचना आदरणीया, शुभकामनाओं सह।

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  10. वैवाहिक वर्ष गाँठ की हार्दिक शुभकामनाएँ । सरस गीत के माध्यम से मन के उद्गार बहुत खूबसूरती से लिखे हैं ।बधाई ।

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    1. दिल से आभार आदरणीय संगीता जी।
      सादर

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  11. शीतल झरना झरे प्रीत का

    बहता अनुराग हूँ साथी

    सींचू सुमन समर्पण से

    कभी न बग़िया सूखे साथी।

    वाह !!हृदयस्पर्शी कोमल भावों को समेटे अति सुंदर सृजन प्रिय अनीता,
    विवाह की उनीसवीं सालगिरह की हार्दिक शुभकामनाएं अनीता,परमात्मा तुम दोनों पर अपनी कृपा बनाये रखें,ढेर सारा स्नेह तुम्हे

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    1. दिल से आभार आदरणीय कामिनी दी।
      सादर

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  12. अनुपम रचना..शुभकामनाएं आपको जीवन की..जीवनसाथी के साथ के..

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  13. प्रिय अनीता सैनी जी ,
    आपकी उन्नीसवीं वैवाहिक वर्षगांठ की अनन्त असीम मंगलकामनाएँँ आपके और चि. मुकेश जी के लिए 🙏

    बहुत अच्छे गीत के लिए भी बहुत बधाई 🙏
    सस्नेहाभिवादन,
    शुभकामनाओं सहित
    डॉ. वर्षा सिंह

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    उत्तर
    1. दिल से आभार आदरणीय वर्षा दी स्नेह आशीर्वाद बनाए रखे।
      सादर

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  14. बहुत सुंदर रचना सखी

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  15. अहा ! इस उमंग का क्या कहना जब शब्दों ने ही पहन लिया प्रेम और समर्पण का गहना । हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ ...... सदैव ।

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    1. दिल से आभार आदरणीय अमृता जी स्नेह आशीर्वाद यों ही बनाए रखे।
      सादर

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  16. उत्तर
    1. दिल से आभार आदरणीय उर्मिला दी।
      सादर

      हटाएं
  17. वाह अनीता ! प्यार में पगा बहुत सुन्दर गीत !

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  18. बहुत मधुर गीत |शुभ कामनाएं |

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  19. मैं तेरे बागों की शोभा

    दूर्वा बनकर लहराऊँ

    रात चाँदनी तारों वाली

    सपना बनकर सज जाऊँ

    बिछ जाऊँ बन प्रेम पुष्प

    पाँव चुभे न काँटे साथी ।।

    प्रेम और समर्पण भाव से ओतप्रोत बहुत ही नायाब सृजन...।
    वैवाहिक वर्षगांठ की हार्दिक शुभकामनाएं।

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    1. सादर आभार आदरणीय सुधा दी उत्साहवर्धन हेतु।
      सादर

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