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सोमवार, जुलाई 5

संघर्ष





 अमृत कलश से छलकती 

अमृत्व के लिबास में लिपटी 

किसी की धड़कन तो किसी की

सांसें बन जीवन में डोलती 

 धरा के नयनों से उतर 

 कपोलों से लुढ़ककर बोलती 

मिट्टी के कण-कण को बींधती

जिजीविषा की कहानी गढ़ती

साँवली सूरत सन्नाटा ओढ़े

थकती न हारती मंद-मंद मुस्कुराती

चराचर के बीचोबीच पालथी मार बैठी 

ऐसे ही एक संघर्ष की बूँद को

 मैंने अमृतपान करते देखा।


@अनीता सैनी 'दीप्ति'

22 टिप्‍पणियां:

  1. थकती न हारती मंद-मंद मुस्कुराती
    जीवन के बीचोबीच पालथी मार बैठी
    ऐसे ही एक संघर्ष की बूँद को
    मैंने अमृतपान करते देखा।
    वाह !! बहुत खूब !! जीजिविषा का संचार करती मनोहारी कृति ।

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    1. आभारी हूँ आदरणीया मीना दी आपकी प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली।स्नेह आशीर्वाद बनाए रखे।
      सादर

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  2. वाह!
    बहुत सुंदर सृजन।
    एक बूंद का संघर्ष और उत्कर्ष दोनों को सुंदरता से सहेजा है आपने छोटी सी रचना में बहुत कुछ कह दिया।
    अभिनव अभिव्यक्ति।

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    उत्तर
    1. आभारी हूँ प्रिय कुसुम दी सारगर्भित हेतु।
      आपकी प्रतिक्रिया मेरा संबल है।
      स्नेह आशीर्वाद बनाए रखे।
      सादर

      हटाएं
  3. बूँद की विजय गाथा, बहुत सुन्दर!!

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    उत्तर
    1. आभारी हूँ आदरणीया अनुपमा मैम मनोबल बढ़ाने हेतु।
      स्नेह आशीर्वाद बनाए रखे।
      सादर

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  4. उत्तर
    1. आभारी हूँ आदरणीय आलोक सर जी।
      आशीर्वाद बनाए रखे।
      सादर

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  5. उत्तर
    1. आभारी हूँ आदरणीया अनुराधा जी।
      सादर

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  6. उत्तर
    1. आभारी हूँ आदरणीय जोशी जी सर।
      आशीर्वाद बनाए रखे।
      सादर

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  7. थकती न हारती मंद-मंद मुस्कुराती
    चराचर के बीचोबीच पालथी मार बैठी
    ऐसे ही एक संघर्ष की बूँद को
    मैंने अमृतपान करते देखा।
    संघर्ष की बूँद का अमृतपान... मेहनत का फल
    बहुत ही लाजवाब सृजन
    वाह!!!

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    उत्तर
    1. आभारी हूँ आदरणीया सुधा जी आपकी प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ।
      स्नेह बनाए रखे।
      सादर

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  8. सादर नमस्कार,
    आपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार (09-07-2021) को "सावन की है छटा निराली" (चर्चा अंक- 4120) पर होगी। चर्चा में आप सादर आमंत्रित हैं।
    धन्यवाद सहित।

    "मीना भारद्वाज"

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    उत्तर
    1. सादर नमस्कार आदरणीय मीना दी।
      दिल से आभार मुझे मंच पर स्थान देने हेतु।
      सादर

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  9. मैंने अमृतपान करते देखा।
    संघर्ष की बूँद का अमृतपान..
    लाजबाब सृजन.... प्रिय अनीता

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  10. संघर्ष की बूंद का अमृतपान
    और फिर जब कोई संघर्ष कर तो फल मीठा ही होगा ।
    सुंदर रचना

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    1. आभारी हूँ आदरणीया संगीता स्वरुप जी उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया हेतु।
      सादर

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  11. संघर्ष की बूँद को मैंने अमृतपान करते देखा''
    क्या बात है, अति सुंदर

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    1. आभारी हूँ सर मनोबल बढ़ाने हेतु।
      सादर

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